उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि महानगरों से कोई भी प्रवासी कामगार/मजदूर पैदल यात्रा कर प्रदेश में नहीं आना चाहिए।
उत्तर प्रदेश सरकार के ताज़ा अध्यादेश में प्रावधान है कि यदि किसी कोरोना मरीज़ ने 'जानबूझकर' किसी दूसरे व्यक्ति को कोरोना से संक्रमित करे और उसकी मौत हो जाए तो आजीवन कारावास की सज़ा दी जा सकती है।
यदि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में घर के बाहर आप पकड़े जाते हैं और आपके फ़ोन में आरोग्य सेतु ऐप नहीं है तो यह दंडनीय अपराध माना जाएगा। इसके लिए जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर जेल भी हो सकती है।
उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा पर झाँसी ज़िले में दो दिनों में हज़ारों की तादाद में बाहर से लौट रहे मज़दूर फँसे हुए हैं। अचानक पहुँचे उन मज़दूरों को झाँसी में रोक लिया गया और आगे नहीं जाने दिया गया।
कोरोना संकट और लॉकडाउन के इस दौर में उत्तर प्रदेश में विपक्ष चुप्पी ओढ़े बैठा है। ऐसे में लगता है कि विपक्ष की भूमिका ख़ुद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने संभाल ली है। रह रह कर विधायकों की ओर से सरकार पर हमले बोले जा रहे हैं।
मुंबई से चलकर 1500 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती ज़िले में अपने घर पहुँचे 35 वर्षीय सख़्स की कुछ घंटों में ही मौत हो गई। वह मुंबई में थे तो बस किसी तरह घर पहुँचना चाहते थे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर घटिया पीपीई किट सप्लाई के मामले में किसी तरह के घोटाले से साफ़ इनकार कर दिया है। घटिया पीपीई किट की सप्लाई को लेकर लिखी गयी महानिदेशक की चिट्ठी के लीक होने की अलबत्ता जाँच शुरू कर दी है।
बीजेपी विधायक सुरेश तिवारी के मुसलमानों से सब्जी नहीं ख़रीदने के बयान पर हंगामा मचा हुआ है लेकिन विधायक ने पलटकर पूछा है कि क्या उन्होंने कुछ ग़लत कहा है।
एक समय कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए जिस ‘आगरा मॉडल’ की बात हो रही थी वहीं अब बीजेपी मेयर ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शहर को बचाने की गुहार लगा रहे हैं। आख़िर हाल के दिनों में ऐसा क्या हो गया कि ऐसी स्थिति आ गई?