हाथरस गैंगरेप केस में उत्तर प्रदेश की ज़बरदस्त आलोचना तो पहले से ही हो रही है, अब अदालत ने उसे ज़ोरदार फटकार लगाई है। अदालत ने इसके साथ ही बलात्कार नहीं होने के पुलिस के कथन पर सवाल उठाया है।
हाथरस गैंगरेप कांड की पीड़िता के परिजनों ने हालांकि सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जाँच की माँग की थी, पर सीबीआई ने इस मामले की जाँच मंगलवार को शुरू कर दी।
उत्तर प्रदेश के गोंडा में तीन दलित बहनों पर एसिड हमला कर दिया। सवाल है कि आख़िर तमाम प्रयासों के बावजूद एसिड के हमले क्यों नहीं रुक रहे हैं? उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध क्यों कम नहीं हो रहे हैं?
झांसी से ख़बर है कि यहां नाबालिग युवती से बलात्कार हुआ है और अभियुक्तों ने लूटपाट कर उसके पैसे भी छीन लिए। पीड़िता के परिवार की ओर से एफ़आईआर दर्ज कराई गई है।
देवरिया में एक बलात्कार अभियुक्त को टिकट दिए जाने का विरोध करने पर कांग्रेस की महिला कार्यकर्ता की पिटाई कर दी गई। उस महिला ने पुलिस में मामला दर्ज कराया है और पिटाई, गाली देने और छेड़खानी के आरोप लगाए हैं।
केंद्र सरकार ने महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों से जुड़ा दिशा-निर्देश एक बार फिर जारी किया है और राज्य सरकारों को सख़्त हिदायत दी है कि वे इसे हर हाल में लागू करें। यह एडवाइज़री के रूप में जारी किया गया है।
हाथरस गैंगरेप पीड़िता को न्याय दिलाने की बात मीडिया में हो रही थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। विपक्ष भी उतरा। लेकिन आरोपी पक्ष की ओर से जब मुहिम शुरू हुई तो सरकार ने भी साज़िश ढूँढनी शुरू कर दी और अब मीडिया भी 'निर्दोषों को सज़ा नहीं' नैरेटिव गढ़ रहा है।