इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य सुविधा के क्या हालात हैं, उस पर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि गांवों और छोटे शहरों में स्वास्थ्य सुविधाएं राम भरोसे हैं।
उत्तर प्रदेश में अप्रैल-मई में 46 दिन के भीतर 8,735 लोगों की जानें गई हैं। इनमें 1621 शिक्षक हैं। इसका मतलब यह है कि उत्तर प्रदेश में बीते डेढ़ महीने में कोरोना से मरने वाला हर पाँचवाँ-छठा व्यक्ति कोई न कोई शिक्षक है। ऐसा क्यों?
उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के बीजेपी विधायक राकेश राठौर ने जो कुछ कहा है, उससे पता चलता है कि राज्य के बीजेपी विधायकों को अपनी बात रखने की कितनी आज़ादी है।
उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे बसने वाले शहरों में बीते दिनों कई शव बहते हुए मिले। उन्नाव से लेकर ग़ाज़ीपुर और चंदौली से वाराणसी और भदोही सहित कई जगहों पर दर्जनों शव गंगा में मिले।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी में 27 ज़िलों में 1140 किलोमीटर गंगा किनारे 2 हज़ार से ज़्यादा शव मिले हैं। ये शव गंगा किनारे कहीं पानी में तैरते मिले तो कहीं रेतों में दफनाए हुए।
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िला जेल में शुक्रवार को दो ख़तरनाक गैंगस्टरों की आपसी लड़ाई में तीन लोग मारे गए। जेल के भीतर ख़तरनाक असलहों से गोलियाँ चलीं और घंटों अपराधी खुलेआम घूम-घूम कर प्रशासन को चुनौती देते रहे।
यह बात बार-बार कही जा रही है कि कोरोना का संक्रमण गांवों में फैल चुका है। किसी एक राज्य के नहीं, कई राज्यों के गांवों में। लेकिन बावजूद इसके सरकारें चेतने को तैयार नहीं दिख रही हैं।
क्या उत्तर प्रदेश और बिहार में सरकारी मशीनरी कुंभकर्णी नींद सो चुकी है क्योंकि इन दोनों राज्यों में नदियों से लगातार शव मिल रहे हैं और ऐसा क्यों हो रहा है, अफ़सर इसका सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
ऐसे समय जब कोरोना से रोज़ाना लगभग चार लाख लोग संक्रमित हो रहे हैं और लगभग चार हज़ार लोगों की मौत हो रही है, कोरोना दिशा निर्देशों की धज्जियाँ उड़ाने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं।
सोमवार को बिहार के बक्सर में गंगा में 45 से ज़्यादा शव मिलने की ख़बर और इसके विजुअल्स से विचलित हुए लोगों को उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला है।