उत्तर प्रदेश बीजेपी ने अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ अभी से शुरू कर दी हैं और पंचायत चुनावों को सेमीफ़ाइनल मान कर उसे काफी गंभीरता से लिया है।
भारतीय किसान यूनियन ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि वह बीजेपी के ख़िलाफ़ नहीं है, पंचायत चुनाव में लोग जिसे चाहें, वोट दें। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा है कि यूपी पंचायत चुनाव 2021 में लोग चाहें जिसे वोट दें।
अब जबकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना की वजह से उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2021 टालने की याचिका को खारिज कर दिया है, यह साफ हो गया है कि लोकतंत्र का यह महापर्व अपने नियत समय पर ही होगा।
चार चरणों में होने वाले उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2021 में 8.69 लाख से ज़्यादा पदों के लिए लोग चुने जाएंगे और इसके लिए 17 लाख से अधिक उम्मीदवार मैदान में होंगे, यह संभावना जताई जा रही है।
एक समय देश को झकझोर देने वाले बाबरी मसजिद विध्वंस मामले में पिछले साल फ़ैसला देने वाले जज (अब सेवानिवृत्त) सुरेंद्र कुमार यादव को उत्तर प्रदेश में उप लोकायुक्त बनाया गया है। उन्होंने सोमवार को उप लोकायुक्त पद की शपथ ली।
नरेंद्र मोदी की चाय दुकान से प्रधानमंत्री बनने तक के सफ़र और उनकी कामयाबी से प्रेरणा लेकर उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर की रहने वाले मीनाक्षी ने भी ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और राजनीति में कूद पड़ीं।
यह जान कर आपको ताज्जुब हो कि पंचायत विकास कोष का बजट कुछ मामलों में सांसद निधि कोष से भी ज़्यादा है। हर साल सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए पाँच करोड़ रुपए मिलते हैं। कई मामलों में पंचायत क्षे विकास के लिए इससे ज़्यादा रकम मिलती है।
यूपी में पंचायत चुनावों के बीच सवाल है कि पिछले 6 महीनों में उठ खड़े हुए देशव्यापी किसान आंदोलन का खूँटा पकड़कर विपक्ष इन पंचायत चुनावों में बीजेपी की चूलें उघाड़ने में कामयाब होगा या नहीं?
उत्तर प्रदेश में चार चरणों में होने वाले पंचायत चुनावों में वैसे तो बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस ने पूरी ताक़त लगा रखी है पर सबसे ज़्यादा हलचल दोनों राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के खेमों में नज़र आ रही है।
चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के लिए शराब पिलाने की बात तो पुरानी हो चुकी है, लेकिन समोसा जलेबी! जी हाँ। यह चौंकने की नहीं, लेकिन हँसने या अपना सिर पीट लेने की बात ज़रूर है।