सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकारों को हैरान कर सकते हैं। ऐसा लग रहा है कि राजभर बीजेपी के साथ गठबंधन करेंगे। उन्होंने इस बात को कहा नहीं है लेकिन कुछ शर्तें रखी हैं।
राजभर का कहना है कि जो भी दल उनकी शर्तों को मानेगा, उन्हें उसके साथ जाने में कोई हिचक नहीं है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री राजभर का कहना है कि सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने, उत्तर प्रदेश में शराबबंदी लागू करने, स्नातकोत्तर तक एक समान अनिवार्य और फ्री शिक्षा, घरेलू बिजली बिल माफी, पिछड़ी जातियों की जातिवार जनगणना सहित पुलिस विभाग के कुछ मुद्दों पर जो भी पार्टी समझौता करना चाहे, भागीदारी संकल्प मोर्चा उसके साथ समझौता करने के लिए तैयार है।
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ओबीसी सीएम का दांव
राजभर ने अगस्त के महीने में कहा था कि वह बीजेपी के साथ गठबंधन करने पर विचार कर सकते हैं, बशर्ते वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए ओबीसी समाज के किसी नेता के नाम का एलान करे।
राजभर ने तब उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मुलाक़ात की थी और कहा था कि राजनीति में कुछ भी संभव है।
राजभर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। पिछड़ों के आरक्षण के बंटवारे को लेकर वह लगातार बीजेपी से भिड़ते रहे थे और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले योगी सरकार से बाहर निकल गए थे।
बीजेपी को चाहिए सहारा
उत्तर प्रदेश में जिस तरह के राजनीतिक हालात बने हैं, उससे बीजेपी बेहद मुश्किल में है। लखीमपुर खीरी की घटना के बाद पार्टी किसानों और विपक्ष के हमलों से बुरी तरह घिरी हुई है। बीजेपी ने निषाद पार्टी और अपना दल के साथ गठबंधन किया हुआ है। लेकिन वह जानती है कि ओम प्रकाश राजभर का पूर्वांचल के कुछ जिलों में अच्छा जनाधार है और वह भागीदारी संकल्प मोर्चा के जरिये उसे सियासी नुक़सान पहुंचा सकते हैं।
इसलिए बीजेपी की भी कोशिश है कि राजभर उसके पाले में आ जाएं। राजभर एसपी मुखिया अखिलेश यादव से भी मिल चुके हैं और एसपी से भी उनके गठबंधन करने की चर्चा चलती रहती है।
लेकिन अब यह लग रहा है कि राजभर बीजेपी के साथ जाने की ज़मीन तैयार कर रहे हैं। अगर राजभर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़े तो निश्चित रूप से यह बीजेपी के लिए बड़ी राहत मिलने जैसा होगा।
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