उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को पुराना साथी बताया है। उन्होंने यह बयान ओमप्रकाश राजभर और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की मुलाकात को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में दिया।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा गठबंधन को मिली हार के बाद से ही इस बात की चर्चा होती रही है कि ओमप्रकाश राजभर एनडीए में वापस लौट सकते हैं।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद ओमप्रकाश राजभर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमला बोलते रहे थे और इस वजह से सपा ने उन्हें पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें जहां ज्यादा सम्मान मिलता है, वे वहां जाने के लिए आज़ाद हैं।
पूर्वांचल में है असर
ओम प्रकाश राजभर अपनी बुलंद आवाज़ और अलग तेवरों के लिए जाने जाते हैं। पूर्वांचल के कुछ जिलों में राजभर वोटों की संख्या और ओमप्रकाश राजभर के सियासी असर को देखते हुए बीजेपी उन्हें योगी कैबिनेट में मंत्री बना सकती है। राजभर 2017 में भी योगी कैबिनेट में मंत्री बने थे लेकिन पिछड़ों के आरक्षण के बंटवारे के मसले पर वह सरकार से बाहर निकल गए थे।
पिछले साल ओमप्रकाश राजभर के बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने की भी बात सामने आई थी लेकिन जब ओमप्रकाश राजभर को योगी आदित्यनाथ सरकार ने वाई श्रेणी की सुरक्षा दी थी तो फिर यह चर्चा तेज हुई थी कि देर-सबेर ओमप्रकाश राजभर एक बार फिर बीजेपी के साथ गठबंधन कर लेंगे।
बीजेपी की कोशिश उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में 80 में से 75 सीटें जीतने की है। ऐसे में वह राजभर के जरिये अति पिछड़े वोटों में सेंधमारी करना चाहती है और राजभर के साथ आने से उसे पूर्वांचल में फायदा मिल सकता है।
तैयारियों में जुटी बीजेपी
उत्तर प्रदेश बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जिन सीटों पर पार्टी को हार मिली थी, वहां पार्टी ने ‘विस्तारकों’ को तैनात कर दिया है। पार्टी ने कुल 14 लोकसभा सीटों पर ‘विस्तारकों’ को तैनात किया है।
‘विस्तारकों’ के पास यह जिम्मेदारी है कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव तक इन सीटों पर पार्टी के लिए रणनीति बनाने, कमजोरियों को पहचानने और उन्हें दूर करने और पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम करेंगे।
बीजेपी ने इन सीटों को जीतने के लिए सात मंत्रियों को भी तैनात किया है। यह मंत्री इन लोकसभा सीटों का बीते महीनों में कई बार दौरा भी कर चुके हैं।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। इनमें से 64 सीटें बीजेपी के पास हैं जबकि 2 सीटें सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) के पास हैं। 10 सीटें बसपा, 3 सीटें सपा और 1 सीट कांग्रेस के पास है।
आजमगढ़ और रामपुर में जीत
बताना होगा कि बीजेपी को जून में आजमगढ़ और रामपुर सीटों पर हुए उपचुनाव में कामयाबी मिली थी। यह दोनों ही सीटें सपा के दिग्गज नेताओं क्रमशः अखिलेश यादव और आजम खान के इस्तीफे से खाली हुई थीं। बीजेपी ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज कर उत्तर प्रदेश में 2024 के चुनाव के लिए मजबूती से कदम आगे बढ़ा दिए थे।
लेकिन समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी सीट पर बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खतौली सीट पर भी उसे गठबंधन के हाथों हार मिली है। इसके बाद पार्टी सतर्क हो गई है और वह 2024 के चुनाव को बेहद गंभीरता से ले रही है।
बहरहाल, देखना होगा कि ओमप्रकाश राजभर के एनडीए में वापस आने को लेकर बना यह सस्पेंस कब खत्म होगा।
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