उत्तर प्रदेश में ओबीसी वर्ग के मंत्रियों, विधायकों की भगदड़ के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर में दलित परिवार के घर पर भोजन किया। बीते कुछ दिनों में जिन मंत्रियों और विधायकों ने बीजेपी छोड़ी है, उन्होंने यही आरोप लगाया है कि बीजेपी में दलित और पिछड़े वर्ग की उपेक्षा हो रही है। निश्चित रूप से नेताओं के धड़ाधड़ इस्तीफों के कारण बीजेपी बैकफुट पर है और वह किसी भी सूरत में डैमेज कंट्रोल करना चाहती है।
शायद इसीलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मकर संक्रांति के मौके पर गोरखपुर में एक दलित परिवार के घर भोजन करने पहुंचे और उन्होंने यह संदेश दिया कि उनकी सरकार इस वर्ग के साथ खड़ी है।
उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय की आबादी 22 फ़ीसदी के आसपास है और सरकार को बनाने और बिगाड़ने में इसका अहम रोल रहता है।
बीजेपी ने बीते साल हुए उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में दलित और पिछड़े समुदाय के नेताओं को अच्छी खासी जगह दी थी। ऐसा माना जा रहा था कि इससे पार्टी को इन वर्गों का साथ मिलेगा लेकिन बीते कुछ दिनों में जिस तरह पिछड़े वर्ग के तीन मंत्रियों ने और कई विधायकों नेताओं ने पार्टी छोड़ी है उससे पार्टी को चुनाव से ठीक पहले जबरदस्त झटका लगा है।
दूसरी ओर बीजेपी हिंदुत्व का कार्ड खेल रही है और इसी के तहत योगी आदित्यनाथ को अयोध्या की सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी है। बीजेपी को ऐसी उम्मीद है कि इससे वह नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने से हुए नुकसान की भरपाई कर सकेगी।
उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय के मतों का बड़ा हिस्सा बसपा के खाते में जाता रहा है लेकिन बीजेपी, कांग्रेस, सपा भी इस वर्ग के मतदाताओं को अपनी ओर लाने की कोशिशों में जुटी रहती हैं।
देखना होगा कि ऐसे वक्त में जब नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारण बीजेपी मुश्किल में दिख रही है तो क्या योगी आदित्यनाथ के दलित परिवार के वहां भोजन करने से उसकी मुश्किलें कम होंगी।
गोरखपुर योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक कर्मभूमि है और जिस गोरक्ष पीठ के योगी आदित्यनाथ महंत हैं वह भी गोरखपुर में ही स्थित है। हालांकि योगी आदित्यनाथ पहले भी दलित परिवार के घरों में भोजन करते रहे हैं लेकिन चुनाव से ठीक पहले दलितों-पिछड़ों की उपेक्षा के आरोप के बीच योगी का फिर से दलित परिवार के वहां जाकर भोजन करना निश्चित रूप से इस वर्ग को पार्टी के साथ जोड़े रखने की एक कोशिश है।
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