loader

मेरठ: ‘पाकिस्तान चले जाओ’ कहने वाले अफ़सर को लेकर नक़वी-मौर्य आमने-सामने

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में हुए प्रदर्शनों के बीच मेरठ के एसपी को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता आमने-सामने आ गए हैं। सोशल मीडिया पर मेरठ के एसपी अखिलेश नारायण सिंह का एक वीडियो ख़ासा वायरल हुआ है, जिसमें वह मुसलिम समुदाय के लोगों से ‘पाकिस्तान चले जाओ’ कह रहे हैं। इसे लेकर ख़ासा विवाद हो रहा है और अब इस विवाद में केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी और उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी कूद पड़े हैं। 

नक़वी ने अंग्रेजी अख़बार ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ से बातचीत में कहा, ‘अगर यह बात सही पाई जाती है तो उस पुलिस अफ़सर के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए।’ केंद्रीय मंत्री ने शनिवार को भी पुलिस अफ़सर के इस बयान की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि पुलिस अफ़सर के इस बयान को क़तई स्वीकार नहीं किया जा सकता। जबकि दूसरी ओर, केशव प्रसाद मौर्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने पुलिस अफ़सर का बचाव किया है। 

वायरल वीडियो में एसपी अखिलेश नारायण सिंह एक गली में मौजूद मुसलिम समुदाय के कुछ लोगों से कहते हैं, ‘हाथ में काली-पीली पट्टी बाँध रहे हो, बता रहा हूँ, उनको कह दो पाकिस्तान चले जाएँ। देश में रहने का मन नहीं है तो चले जाओ भैया। खाओगे यहां का और गाओगे कहीं और का। इस गली को मैं ठीक कर दूंगा।’ इस दौरान वह गालियां भी देते हैं। 

ताज़ा ख़बरें
नक़वी ने टीओआई से कहा, ‘इस तरह के वीडियो लोगों के भरोसे को कमजोर करते हैं। अगर इस वीडियो में जो कहा गया है, वह सच साबित होता है तो अधिकारियों द्वारा उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।’ जबकि मौर्य ने कहा कि अगर देश विरोधी नारे लगाए जा रहे थे तो मेरठ के एसपी का यह बयान ग़लत नहीं था। मौर्य ने कहा, ‘एसपी ने सारे मुसलिमों के लिए ऐसा नहीं कहा था, शायद उनके लिए कहा था जो पत्थर फेंक रहे थे और पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगा रहे थे।’ 
हिंदुत्ववादी नेता उमा भारती ने भी मौर्य के सुर में सुर मिलाते हुए कहा, ‘जो दंगाई पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे, पुलिस को गालियां दे रहे थे, पत्थर फेंक रहे थे और आगजनी में शामिल थे, ऐसे लोगों के लिए यह एसपी की ‘स्वाभाविक प्रतिक्रिया’ थी।’

प्रियंका, माया ने बोला था हमला 

वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोला था। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने बीजेपी पर संस्थानों में ज़हर घोलने का आरोप लगाया था। वाड्रा ने कहा था, ‘भारत का संविधान किसी भी नागरिक को ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देता है। बीजेपी ने इस हद तक संस्थानों में ज़हर घोल दिया है कि एक पुलिस अफ़सर तक को अपनी संवैधानिक प्रतिज्ञा की परवाह नहीं है।’ जबकि बीएसपी प्रमुख मायावती ने एसपी को नौकरी से हटाए जाने की माँग की थी। सोशल मीडिया पर भी एसपी के इस बयान को लेकर जमकर बहस हुई थी और लोगों ने बयान की आलोचना की थी। 

उत्तर प्रदेश से और ख़बरें

पुलिस ने दी थी सफाई 

वीडियो के वायरल होने के बाद एसपी की ओर से मामले में सफाई सामने आई थी। एसपी ने कहा था कि पुलिस को देखकर कुछ लड़कों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए और वे भागने लगे थे। एसपी के मुताबिक़, इस पर उन्होंने कहा था कि आप पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं और भारत से इतनी नफरत करते हैं कि पत्थर फेंक रहे हैं तो पाकिस्तान चले जाते। जबकि मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा था कि पथराव किया जा रहा था और भारत-विरोधी नारे लगाए जा रहे थे। एडीजी ने कहा था कि ऐसी स्थिति में यह ‘स्वाभाविक प्रतिक्रिया’ थी। 

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों के बाद उत्तर प्रदेश में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। पुलिस ने बिजनौर से लेकर मुज़फ़्फरनगर तक मुसलिम समुदाय के लोगों की घर में घुसकर पिटाई की है। मेरठ एसपी के इस बयान को लेकर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। केंद्रीय मंत्री नक़वी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री भी हैं, ऐसे में उनके बयान के बाद भी यूपी सरकार क्या कोई कार्रवाई करेगी या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। क्योंकि नक़वी के बयान के बाद बीजेपी के लिए इस मुद्दे पर जवाब देना मुश्किल हो रहा है। 

यूपी पुलिस की ज़्यादती को देखकर लगता है कि उसे कार्रवाई के नाम पर कुछ भी करने की छूट मिली हुई है क्योंकि लखनऊ से लेकर कानपुर तक पुलिस ने नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध करने वाले हज़ारों लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की हैं और सैकड़ों लोगों को जेलों में बंद कर दिया है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें