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मेरठ में लड़की के साथ गैंगरेप, महिला सुरक्षा में नाकाम योगी सरकार 

मेरठ में तीन लोगों ने एक महिला के साथ बलात्कार किया फिर उसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। पीड़िता एफ़आईआर दर्ज करवाने के लिए पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाती रही, लेकिन कई दिनों तक उसकी एफ़आईआर तक दर्ज नहीं की गई। और यह उस सरकार के शासन में हुआ है जो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देती है।
मामला मेरठ के परीक्षितगढ़ इलाक़े का है। जहाँ शादाब, फ़रियाद और अनीस नाम के तीन अभियुक्तों ने पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया। बलात्कार करने वाले तीन अभियुक्तों में से एक पूर्व प्रधान का बेटा है। 
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वीडियो वायरल करने की दी धमकी

अभियुक्तों ने महिला को धमकी दी कि अगर उसने मुँह खोला तो उसका वीडियो वायरल कर देंगे और धमकी देकर वे एक साल तक उसे अपनी हवस का शिकार बनाते रहे। 25 वर्षीय पीड़िता का कहना है कि वह पुलिस से गुहार लगाती रही कि वह अभियुक्तों को पकड़े और उन्हें वीडियो वायरल करने से रोके। लेकिन पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज नहीं की। 

अभियुक्तों ने 17 फ़रवरी 2019 को बलात्कार का वीडियो वायरल कर दिया। इस बात का पता चलने पर पीड़िता का परिवार बुरी तरह डर गया।
पीड़िता का कहना है कि वह परिजनों के साथ 17 फ़रवरी को पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुँची लेकिन पुलिस ने उसका बयान दर्ज नहीं किया। जिसके बाद मंगलवार को पीड़िता बलात्कार का वीडियो लेकर एसपी ऑफ़िस पहुँच गई और कार्रवाई की माँग की। इस पर एसपी क्राइम डॉ. बीपी अशोक ने थाना परीक्षितगढ़ पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए। परीक्षितगढ़ के एसओ शिव दत्त का कहना है कि अभियुक्तों की गिरफ़्तारी के लिए दबिश दी जा रही है, जल्द ही उन्हें गिरफ़्तार कर लिया जाएगा। 
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हर रोज होते हैं आठ बलात्कार

बता दें कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ़ सबसे ज़्यादा अपराध होते हैं। प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा का क्या हाल है, वह इस बात से पता लगाया जा सकता है कि हर रोज यूपी में औसतन आठ महिलाओं के साथ बलात्कार होता है और लगभग 30 से ज़्यादा महिलाओं का अपहरण कर लिया जाता है।

महिला अपराध में शीर्ष पर है यूपी

उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का वादा करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज्य में हर रोज़ महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध को लेकर 100 से ज़्यादा एफ़आईआर दर्ज की जाती हैं और कई मामले तो पुलिस में दर्ज नहीं हो पाते। 

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक़, 2016 में यूपी में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध से संबंधित 49,262 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। यह आँकड़ा पूरे देश में किसी भी प्रदेश में सबसे ज़्यादा है।
2017 से पहले उत्तर प्रदेश में बीजेपी सहित विपक्षी दल यह आरोप लगाते थे कि अखिलेश यादव सरकार में अपराधियों को संरक्षण दिया जाता है। योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि कानून व्यवस्था सुधरेगी और महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 
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नाबालिग से बलात्कार का लगा आरोप

याद दिला दें कि महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा का दम भरने वाली सरकार के विधायक का ही नाम एक नाबालिग से सामूहिक बलात्कार करने में सामने आया था। यह मामला उत्तर प्रदेश की ही विधानसभा बांगरमऊ से चार बार के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के ख़िलाफ़ था। अभी सीबीआई सेंगर पर सामूहिक बलात्कार और पीड़िता के पिता की हत्या करने के मामले में जाँच कर रही है। 

चुनावी जुमले साबित हुए वादे 

आँकड़े और प्रदेश के हालात देख कर साफ़-साफ़ पता चलता है कि महिलाओं की सुरक्षा का मामला राजनीतिक पार्टियों के लिए केवल चुनावी वादा ही होता है। राज्य की योगी सरकार ने भी चुनाव के दौरान कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। सरकार बनने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते रहे हैं कि जो अपराधी हैं, वे या तो सुधर जाएँ नहीं तो प्रदेश छोड़ के भाग जाएँ। अब उन्हें या तो जेल भेजा जाएगा नहीं तो एनकाउंटर कर दिया जाएगा। 

लेकिन जिस तरीक़े से प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध बढ़ रहे हैं उससे यह तो साफ़ है कि विपक्ष में रहने के दौरान बीजेपी और योगी आदित्यनाथ की ओर से किए गए दावे सिर्फ़ जुमले साबित हुए हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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