उत्तर प्रदेश के शामली में दो बहनों तान्या और लतिका बंसल ने अपनी मां को इंसाफ दिलाने के लिए 6 साल तक लड़ाई लड़ी। उनकी मां अनु बंसल के साथ जो हुआ था, उसे सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं। अनु बंसल को उसके पति मनोज बंसल ने जिंदा जला दिया था।
इसके पीछे वजह यह थी कि अनु लड़के को जन्म नहीं दे पा रही थी और इस वजह से पांच बार अनु का अबॉर्शन भी कराया गया था।
अनु को 14 जून, 2016 को जिंदा जला दिया गया था और वह बुरी तरह झुलस गई थी। कुछ दिन तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद उसने 20 जून को दम तोड़ दिया था। बुलंदशहर की एक स्थानीय अदालत ने इस मामले में मनोज बंसल को उम्र कैद की सजा सुनाई है।
ऐसा नहीं है कि अनु बंसल के साथ हुई यह घटना कोई नई बात हो। बेटे की चाह में महिलाओं के साथ इस तरह की क्रूरता होने की सैकड़ों घटनाएं कई सालों से होती रही हैं और आज भी हो रही हैं।
मां को जलते हुए देखा
अनु बंसल की बेटियों तान्या की उम्र 18 साल और लतिका की उम्र 20 साल है। तान्या और लतिका के लिए जीवन का सबसे बड़ा दुख यही है कि उनके सामने ही उनकी मां को मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी गई और उन्हें जिस कमरे में बंद किया गया था, वहां से उन्होंने इस हृदय विदारक वारदात को देखा था। उस वक्त लतिका की उम्र 12 साल और तान्या की उम्र 14 साल थी।
तान्या और लतिका के वकील संजय शर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इस मामले में मनोज बंसल के अलावा सात अन्य अभियुक्त भी थे और ये सभी मनोज के परिवार के हैं।
वकील ने कहा कि इस मामले में शुरुआती धारा 302 (हत्या) दर्ज कराई गई थी लेकिन पुलिस वालों ने इसे 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) में बदल दिया। हमने इसे अदालत में चुनौती दी और बाद में इसे बदला गया और अब इस मामले में दोष साबित हो सका है।
यह मामला अभी हाई कोर्ट में लंबित है और इसमें अगस्त में सुनवाई होनी है। लेकिन बुलंदशहर की अदालत के आदेश के बाद तान्या, लतिका और उनके वकील को हिम्मत जरूर मिली है।
‘शैतान है मनोज बंसल’
लतिका ने एक वीडियो में कहा है कि उनकी मां ने उन्हें बहुत मुश्किलों से पाला था। तान्या ने कहा कि मनोज बंसल उनके लिए एक शैतान है। लतिका ने कहा कि 6 साल की लड़ाई के बाद मनोज बंसल का दोषी पाया जाना उनके लिए राहत भरी खबर है।
अनु बंसल और मनोज बंसल की शादी साल 2000 में हुई थी। बेटी की मौत के बाद अनु की मां ओमवती देवी ने बेटी की हत्या को लेकर अनु के ससुरालियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें स्नेहलता, राजेश, आभा, पूनम, कुमुद, संजय मित्तल और आकाश के नाम थे।
मां की हत्या के बाद से ही तान्या और लतिका अपनी नानी के घर पर रही हैं।
जब अनु बंसल को जलाया गया तो लतिका ने अगस्त, 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने खून से पत्र लिखकर पुलिस को कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
मां की आती है याद
बीएससी की पढ़ाई कर रही लतिका ने कहा कि जब उनकी मां की हत्या की गई तब वह क्लास 8 में पढ़ती थी। दोनों बहनों ने पिछले 6 सालों में जबरदस्त उत्पीड़न झेला है, उनके खिलाफ मुरादाबाद में फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए। लतिका ने कहा कि दोनों बहनें अपनी मां को आज भी बहुत याद करती हैं।
अनु के साथ जो हुआ और उसके बाद उनकी बेटियों ने बहुत कम उम्र में जिन मुसीबतों और दर्द को झेला, वह समाज में बेटे की चाह को लेकर हत्या तक कर देने वाले वाली मानसिकता को उजागर करता है। साथ ही पुलिस और अदालतों पर भी सवाल खड़े होते हैं कि आखिर लतिका और तान्या को न्याय मिलने में इतने साल क्यों लग गए।
अपनी राय बतायें