कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को 24 घंटे से अधिक समय तक बग़ैर गिरफ़्तारी के सरकारी गेस्ट हाउस में रखे जाने पर संवैधानिक सवाल खड़े हो रहे हैं। संवैधानिक प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार करने के 24 घंटे के अंदर किसी मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है। लेकिन प्रियंका गांधी को बग़ैर गिरफ़्तार किए ही हिरासत में एक सरकारी गेस्ट हाउस में रखा गया। लगभग 28 घंटे बीत जाने के बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन लोकुर ने 'एनडीटीवी' से बात करते हुए इसे 'ग़ैरक़ानूनी' और 'असंवैधानिक' क़रार दिया है।
“
प्रियंका गांधी को गिरफ़्तार करने के बाद गेस्ट हाउस में रखा गया। आप किसी को गिरफ़्तार करते हैं तो उसे थाने में या जेल में रखते हैं। गेस्ट हाउस को उप जेल घोषित किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया। इस तरह प्रियंका को उस जगह ग़ैरक़ानूनी तरीके से रखा गया।
मदन लोकुर, रिटायर्ड जज, सुप्रीम कोर्ट
धारा 144
जस्टिस लोकुर ने प्रशासन द्वारा 'धारा 144 लगा कर पीड़ित परिवारों से लोगों को मिलने से रोकने को भी ग़लत बताया।' उन्होंने कहा कि 'आजकल छोटी-मोटी बात पर भी धारा 144 लगा दी जाती है।'
उन्होंने इसके आगे कहा, "किसी की मृत्यु हो गई है और यदि कोई उसके परिवार के लोगों से मिल कर सहानुभूति प्रकट करना चाहता है तो ग़लत क्या है? इस कारण धारा 144 नहीं लगाई जा सकती है।"
गिरफ़्तारी क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के अभियुक्त को ग़िरफ़्तार नहीं किए जाने को भी ग़लत बताया। उन्होंने कहा,
“
यह साफ हत्या का मामला है। हत्या के मामले में जो काम आप सबसे पहले करते हैं वह अभियुक्त की गिरफ़्तारी। 48 घंटे का समय तो बहुत होता है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये लोग अभी भी छुट्टा घूम रहे हैं।
मदन लोकुर, रिटायर्ड जज, सुप्रीम कोर्ट
क्या है मामला?
बता दें कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों पर तेज रफ़्तार से अपनी गाड़ी चढ़ा कर उन्हें रौंद दिया। इस कांड में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई।
आशीष मिश्रा को अब तक गिरफ़्तार नहीं किया गया है।
सीतापुर पुलिस ने प्रियंका गांधी, हरियाणा के कांग्रेस नेता दीपेंदर हुड्डा और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के ख़िलाफ़ मुक़दमा दायर कर दिया है। उन पर शांति भंग करने की आशंका के तहत मामला दायर किया गया है।
संविधान में प्रावधान
बता दें कि संविधान की धारा 22(2) के तहत यह प्रावधान है कि किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने या गिरफ़्तार करने के 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है। किसी व्यक्ति को बग़ैर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए 24 घंटे से ज़्यादा समय तक हिरासत या गिरफ़्तारी में नहीं रखा जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता 1973 की धारा 57 में यह कहा गया है कि कोई पुलिस अधिकारी बगैर वारंट के किसी को हिरासत में लेता है या गिरफ़्तार करता है तो उसे 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट से उस व्यक्ति की रिमांड लेनी होगी।
प्रियंका गांधी के मामले में इन दोनों ही धाराओं का उल्लंघन हुआ है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि प्रियंका गांधी को सुबह 4.30 बजे हिरासत में लिया गया। यह ग़लत इसलिए है कि किसी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय के पहले हिरासत में नहीं लिया जा सकता है न ही गिरफ़्तार किया जा सकता है।
इसके अलावा यह प्रावधान भी है कि किसी महिला को कोई महिला पुलिस अधिकारी ही गिरफ़्तार कर सकती है, पुरुष नहीं।
अपनी राय बतायें