उत्तर प्रदेश ने वो कर दिखाया है, जिसकी उम्मीद भाजपा को दूर-दूर तक नहीं थी। ऐसा प्रदेश जहां राम मंदिर है, जिसका वादा भाजपा ने पूरा किया। लेकिन मतदाताओं ने सारी चीजों को ठुकरा कर महंगाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा के मुद्दे पर मुहर लगा दी है। पीएम मोदी ने यूपी में अपने धुंआधार प्रचार अभियान में राहुल गांधी और अखिलेश यादव को बार-बार दो शहजादे या दो लड़के शब्द का इस्तेमाल किया।
“
यूपी में भाजपा की करारी हार की जिम्मेदारी क्या मोदी लेंगे। क्योंकि यूपी समेत पूरे देश में भाजपा ने मोदी के चेहरे और बयान पर चुनाव लड़ा था। लेकिन सवाल तो उठेंगे ही।
प्रदेश की 80 सीटों में से समाजवादी पार्टी ने 36 सीटों और कांग्रेस ने 9 सीटों पर बढ़त बना रखी है। भाजपा 32 सीटों पर आगे चल रही है। अंतिम नतीजे रात तक आएंगे लेकिन रुझान इस प्रदेश में इंडिया गठबंधन को आगे बता रहे हैं। इन आंकड़ों में शाम तक फेरबदल होगा। लेकिन कमोबेश संकेत यही है कि यूपी में भाजपा बहुत बुरा प्रदर्शन कर रही है।
इंडिया की बढ़त के खास फैक्टर
- सपा-कांग्रेस गठबंधन ने ओबीसी और दलित वोटों को हासिल किया। मुस्लिम वोटों का मिलना स्वाभाविक है। लेकिन जब इन तीनों ने मिलकर मतदान किया तो करिश्मा हो गया।
- बसपा और उसकी प्रमुख मायावती का कोई करिश्मा काम नहीं आया। दलितों ने मायावती को नजरन्दाज कर कांग्रेस और सपा को वोट दिया।
- राहुल गांधी इस संदेश को देने में कामयाब रहे कि संविधान और लोकतंत्र पर खतरा है। आरक्षण पर भी संकट है। इन बातों को यूपी के मतदाताओं ने गंभीरता से लिया।
- मतदाता ने मोदी-योगी और भाजपा के हिन्दू-मुसलमान करने को पसंद नहीं किया। वो गंभीर मु्द्दों पर उनसे स्पष्ट स्टैंड चाहते हैं। यूपी का युवा समझ गया है कि अगर वो मंदिर और धर्म छोड़कर मूल मुद्दों पर वोट देगा तो यूपी की छवि में सुधार आएगा। गोबरपट्टी का दाग यूपी का युवा धोना चाहता है।
भाजपा ने पश्चिमी यूपी का किला फतह करने के लिए जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को एनडीए में शामिल कर लिया। यहां तक की मोदी ने पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया। जयंत उनके पोते हैं। लेकिन इस पहल से भाजपा को कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। मुजफ्फरनगर में भाजपा के विवादित नेता संजीव बालियान सपा और इंडिया के प्रत्याशी हरेंद्र मलिक से पीछे चल रहे हैं।
यूपी का दिल पूर्वांचल को माना जाता है। जहां से राम मंदिर आंदोलन को हवा मिली थी। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल ने सपा का साथ दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही संकेत है कि पूर्वांचल ने भाजपा को जबरदस्त झटका दिया है। अमेठी, रायबरेली, आजमगढ़, इलाहाबाद, फूलपुर, फैजाबाद (अयोध्या), बस्ती, अंबेडकर नगर आदि से जो सूचनाएं आ रही हैं, उसने भाजपा को पीछे धकेल दिया है।
यह रिपोर्ट लिखे जाने के समय तक फैजाबाद लोकसभा सीट यानी अयोध्या से भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह 3551 वोटों से सपा के अवधेश प्रसाद से पीछे चल रहे हैं। अयोध्या वही जगह है, जहां 22 जनवरी को मोदी ने राम मंदिर के उद्घाटन का भव्य आयोजन कराया था। खुद ही उन्होंने सारी मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। लेकिन जो राम को लाए हैं, उन्होंने मोदी का खेल खराब कर दिया।
यूपी से सबसे हैरान करने वाली सूचना सुबह तब आई जब बताया गया कि पीएम मोदी वाराणसी से पीछे चल रहे हैं। हालांकि मोदी की जीत को लेकर संदेह नहीं है लेकिन इससे यह पता चलता है कि वाराणसी में भी मोदी की लोकप्रियता में कमी है। रात तक पता चलेगा कि मोदी वाराणसी से रेकॉर्ड मतों से जीत पाते हैं या नहीं। क्योंकि मोदी के सबसे नजदीकी अमित शाह जीत का रेकॉर्ड बनाने की ओर हैं।
यूपी से ही मोदी के साम्प्रदायिक भाषणों की शुरुआत हुई थी। 5 अप्रैल को कांग्रेस का घोषणापत्र न्याय पत्र के नाम से सामने आया था। मोदी 6 अप्रैल को सहारनपुर में रैली करने गए तो उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र को मुस्लिमलीगी घोषणापत्र बताया। उसके बाद वो विवादित बातों को बढ़ाते चले गए। जिसमें मंगलसूत्र, भैंस भी आए।
यह रिपोर्ट मतगणना के शुरुआती रुझान पर आधारित है। इसमें शाम और रात तक काफी बदलाव होगा। इसलिए रिपोर्ट में बदलाव हो सकता है।
अपनी राय बतायें