औरैया हादसे में मारे गए प्रवासी मजदूरों में से एक अपने बेटे का शव लेने को औरैया पहुंचने के लिए उसके पिता को 19 हज़ार रुपये ख़र्च करने पड़े। मारे गए शख़्स का नाम नीतीश है और उसके पिता का नाम सुदामा यादव है। 43 साल के सुदामा यादव झारखंड के पलामू में खेत-मजदूर हैं।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, सुदामा ने कहा कि उन्हें यह रकम औरैया तक उन्हें और उनके दामाद को पहुंचाने वाले कार ड्राइवर को चुकानी पड़ी।
औरैया हादसे में सुदामा को अपने सबसे बड़े बेटे 21 साल के नीतीश को खोना पड़ा है। इस हादसे में राजस्थान से घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों के ट्रक की औरैया में शनिवार सुबह दूसरे ट्रक से टक्कर हो गई थी। इसमें 24 मजदूरों की मौत हो गयी और 36 गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
सुदामा ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, ‘नीतीश जयपुर में एक मार्बल फ़ैक्ट्री में काम करता था। मेरी उससे अंतिम बार शुक्रवार रात को लगभग 8 बजे बात हुई थी। उसने कहा था कि वह गया (बिहार) के लिए एक ट्रक में चढ़ चुका है और अगले दिन पहुंच जाएगा। लेकिन शनिवार सुबह मुझे टीवी से इस हादसे के बारे में पता चला।’
सुदामा ने कहा, ‘मैंने नीतीश को फ़ोन किया लेकिन उसका फ़ोन स्विच ऑफ़ था। फिर मैंने नीतीश के साथ काम करने वाले दूसरे व्यक्ति को फ़ोन किया तो उसने मुझे बताया कि नीतीश की मौत हो गई है।’
औरैया के जिला प्रशासन की ओर से यह भरोसा दिए जाने के बाद कि नीतीश के शव को भेजने की व्यवस्था की जाएगी, सुदामा ने उन्हें लाने वाले ड्राइवर को वापस भेज दिया। सुदामा ने कहा कि नीतीश ने कक्षा 8 के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी क्योंकि वह घर की आर्थिक मदद करना चाहता था।
सुदामा ने अख़बार से कहा, ‘नीतीश को लॉकडाउन के बाद दो महीने से तनख़्वाह नहीं मिली थी। मैंने 13 मई को नीतीश को 3 हज़ार रुपये भेजे थे जिससे वह घर लौट सके।’ नीतीश तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ा था।
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