कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे किसानों ने ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ का एलान किया है। इस मिशन के तहत किसान इन दोनों राज्यों में जाएंगे और बीजेपी को हराने की अपील करेंगे। बता दें कि हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान भी किसानों ने इन चुनावी राज्यों का दौरा किया था और बीजेपी को वोट न देने की अपील की थी।
‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ का एलान करने कुछ दिन पहले किसान नेता राकेश टिकैत ख़ुद लखनऊ पहुंचे थे। टिकैत ने यहां कहा था कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार ढंग से काम नहीं करेगी तो लखनऊ को भी दिल्ली बनाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि जिस तरह दिल्ली के चारों तरफ़ के रास्ते सील हैं, उसी तरह लखनऊ के भी रास्ते सील किए जाएंगे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस आंदोलन का ख़ासा असर है और किसानों ने एलान किया है कि वे पूरे उत्तर प्रदेश में जाकर बैठकें करेंगे और निश्चित रूप से यह बीजेपी के लिए बड़ा ख़तरा है।
बहरहाल, टिकैत ने दिल्ली की तरह लखनऊ को भी घेरने का एलान किया तो लग रहा था कि उत्तर प्रदेश बीजेपी इसका जवाब देगी। उसने जवाब दिया भी लेकिन ट्विटर पर एक कार्टून जारी करके।
कार्टून में राकेश टिकैत जैसा दिख रहा एक शख़्स हाथ में गदा लिए जा रहा है, जिस पर किसान आंदोलन लिखा हुआ है। वह एक शख़्स को बालों से पकड़कर घसीट रहा है, इस शख़्स की कमीज पर दिल्ली लिखा हुआ है।
लेकिन इस प्रतीकात्मक राकेश टिकैत के सामने एक मुच्छड़ शख़्स खड़ा है जिसके कपड़ों पर लिखा है- बाहुबली। बाहुबली पश्चिमी उत्तर प्रदेश की स्थानीय भाषा में प्रतीकात्मक राकेश टिकैत से जो कहता है उसका हिंदी में मतलब यह है- “सुना है तुम लखनऊ जा रहे हो, कुछ पंगा मत ले लेना भाई, योगी बैठा हुआ है, वह खाल खींच लेता है और पोस्टर भी लगवा देता है।”
इतना कहने के बाद प्रतीकात्मक राकेश टिकैत को यह सोचते हुए दिखाया गया है कि एक भगवाधारी शख़्स उसकी टोपी गिराने के बाद उसे बाल खींचकर ले जा रहा है। इस कार्टून के जरिये बीजेपी ने एक तरह से राकेश टिकैत को चेताया है कि लखनऊ को घेरने की कोशिश मत करना।
इसे लेकर ट्विटर पर ढेर सारी प्रतिक्रियाएं भी दोनों तरफ़ से आई हैं। मतलब बीजेपी वालों का कहना है कि योगी से पंगा मत लेना राकेश टिकैत जबकि दूसरी तरफ़ के लोगों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ क्या किसानों के साथ क्या इस तरह का व्यवहार करेंगे।
मुश्किल हैं हालात
बीजेपी जानती है कि 2022 की शुरुआत में जिन पांच राज्यों में चुनाव हैं, उन्हें जीतना बेहद ज़रूरी है। अगर वह जीत गई तो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर लेगी लेकिन अगर नतीजे उल्टे रहे तो 2024 में दिल्ली की सत्ता से उसकी विदाई हो सकती है।
हाल ही में हुए मोदी कैबिनेट के विस्तार में उत्तर प्रदेश को खासी अहमियत दी गई थी। विस्तार में दलितों-पिछड़ों पर खासा ध्यान दिया गया था। उत्तर प्रदेश से 7 नए मंत्री बनाए गए थे।
गले की फांस बना आंदोलन
लेकिन किसान आंदोलन बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में गले की फांस बन गया है। विपक्षी सांसदों ने 19 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में पेगासस जासूसी मामले के अलावा इस मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया है और किसान भी संसद के बगल में स्थित जंतर-मंतर पर अपनी संसद चला रहे हैं। किसानों ने 5 सितंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में राष्ट्रीय महापंचायत भी रखी है।
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