केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन गुरुवार को आख़िरकार जेल से रिहा कर दिया गया। वह उत्तर प्रदेश में दो साल से अधिक समय से जेल में बंद थे। उन्हें एक महीने पहले ही जमानत भी मिल गई थी, लेकिन उन्हें कुछ कागजी कार्रवाई में व्यवधान आने की वजह से रिहा नहीं किया जा सका था। उनको उन दोनों मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी थी जिनमें उन्हें आरोपी बनाया गया है। दूसरे मामले में जमानत मिलने के एक महीने से अधिक समय बाद लखनऊ की एक विशेष अदालत ने बुधवार को उनकी रिहाई के आदेश पर हस्ताक्षर किए थे।
सत्र न्यायाधीश लखनऊ द्वारा हस्ताक्षर किए गए रिहाई आदेश में जिला जेल अधीक्षक को निर्देश दिया गया था कि यदि कप्पन किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो कप्पन से निजी मुचलका प्राप्त कर रिहा कर दें।
उनके वकील ने बुधवार को ही कहा था कि आज सभी औपचारिकताएँ पूरी कर ली गई हैं, 'लेकिन रिहाई का आदेश समय पर जेल नहीं पहुंचा ...वह कल (गुरुवार) दोपहर से पहले जेल से बाहर आ जाएंगे।'
कप्पन के दो दिन पहले ही बाहर निकलने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें इसलिए रिहा नहीं किया जा सका था क्योंकि धन शोधन निवारण पर विशेष अदालत के न्यायाधीश बार काउंसिल के चुनाव में व्यस्त थे।
कप्पन को अक्टूबर 2020 में एक दलित महिला की हत्या के बाद हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था। हाथरस में एक दलित युवती से चार सवर्णों ने कथित तौर पर गैंग रेप किया था और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी थी।
इस पर विवाद तब और बढ़ गया था जब प्रशासन ने कथित रूप से अभिभावकों की सहमति के बिना ही लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया था। इसको लेकर प्रशासन की काफ़ी आलोचना हुई थी।
हाथरस घटना के बीच पुलिस ने कहा था कि उसने चार लोगों को मथुरा में पीएफ़आई के साथ कथित जुड़ाव के आरोप में गिरफ्तार किया और चारों की पहचान केरल के मालप्पुरम के सिद्दीक कप्पन, यूपी के मुज़फ़्फ़रनगर के अतीक-उर-रहमान, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के आलम के तौर पर हुई।
हाथरस की उस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस मामले में यूपी सरकार की किरकिरी हुई थी। इसके बाद यूपी सरकार ने कार्रवाई की और कहा कि सरकार को बदनाम करने के लिए साज़िश रची गई थी। इसी साज़िश में शामिल होने का आरोप कप्पन पर भी लगा।
पुलिस ने कहा था कि कप्पन हाथरस में कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि आरोपियों के पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया यानी पीएफआई से संबंध थे। पत्रकार ने कहा है कि वह निर्दोष हैं और उन्हें फँसाया जा रहा है।
उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया और कड़े आतंकवाद विरोधी क़ानून यूएपीए के तहत आरोप लगाया गया। फ़रवरी 2021 में प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ प्रतिबंधित पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया से धन प्राप्त करने का आरोप लगाते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
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