कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को लखनऊ में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। उन्हें समाजवादी पार्टी ने समर्थन दिया है।
सिब्बल ने कहा कि उन्होंने 16 मई को ही कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया था।
इस बात की आशंका पहले से लगाई जा रही थी कि कपिल सिब्बल को कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने की सूरत में वह समाजवादी पार्टी के जरिए राज्यसभा जा सकते हैं।
कपिल सिब्बल ने सपा के नेता आजम खान के मुकदमों को लड़ा था और उन्हें जमानत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। माना जा रहा है कि सिब्बल को राज्यसभा चुनाव में समर्थन देकर अखिलेश यादव ने आजम खान की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की है।
कपिल सिब्बल कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 के बड़े नेता थे और बीते 2 सालों में उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को कई बार कटघरे में खड़ा किया था।
नामांकन दाखिल करने के बाद सिब्बल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह विपक्ष का गठबंधन बनाना चाहते हैं। इस मौके पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि कपिल सिब्बल जाने-माने अधिवक्ता हैं और उनके पास वकालत के साथ ही राजनीतिक अनुभव भी है और वह देश के बड़े सवालों पर पुरजोर ढंग से आवाज उठाते रहे हैं।
कपिल सिब्बल इससे पहले भी कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के सांसद थे। सिब्बल मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे और दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से सांसद भी रहे हैं।
कपिल सिब्बल के कांग्रेस छोड़ने से निश्चित रूप से पार्टी को भी झटका लगा है क्योंकि सिब्बल अनुभवी नेता हैं और राज्यसभा में मोदी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे हैं।
कई नेताओं ने छोड़ी कांग्रेस
बीते कुछ सालों में सुनील जाखड़, हार्दिक पटेल, आरपीएन सिंह से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुष्मिता देव से लेकर जितिन प्रसाद जैसे कई नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा कहा है। कांग्रेस ने हाल ही में उदयपुर में चिंतन शिविर लगाया था और उसके बाद 2024 के चुनाव के लिए कुछ समूहों का भी गठन किया है। लेकिन 2024 के चुनाव से पहले उसकी बड़ी परीक्षा 2022 और 2023 में राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में होनी है।
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