अतिक्रमण के
खिलाफ पुलिस की कार्रवाई में आग से जान गंवाने के मामले में सरकार ने कार्यवाही
करते हुए मां-बेटी की मौत की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच के आदेश
देते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आश्वासन दिया कि
आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इससे पहले के
घटनाक्रम में आज सुबह मां-बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
मृतक के बेटे
शिवम दीक्षित ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने हमें
आश्वासन दिया है कि हमारी मांगें पूरी की जाएंगी। उन्होंने कहा कि हम दोनों भाईयों
को (2 भाइयों) 1-1 करोड़ रुपये, सरकारी नौकरी, आवासीय क्वार्टर और एक जमीन का पट्टा दिया जाएगा।
इसके अलावा हमारे पिता को आजीवन पेंशन दी जाएगी।" कानपुर मंडल के पुलिस आयुक्त राज शेखर ने कहा कि
प्रशासन पीड़ित परिवार को हर संभव मदद मुहैया करा रहा है।
कल दिन भर की
गहमा-गहमी के बाद शाम को शवों का पोस्टमॉर्टम करा दिया गया था। पोस्टमॉर्टम के बाद शव को परिवार को सौंप
दिया गया था। शव को परिवार को सौंपने के बाद उनके अंतिन संस्कार को लेकर काफी
विवाद हुआ। परिवार अंतिम संस्कार गांव में ही करना चाह रहा था लेकिन प्रशासन किसी
अप्रिय घटना के डर से अंतिम संस्कार के गांव से बाहर बिठूर में करना चाह रहा था।
बाद पुलिस अधीक्षक के समझाने पर परिवार बिठूर में अंतिम संस्कार को राजी हो गया।
अंतिम संस्कार में पुलिस ने दोनों शवों को कंधा देकर अपना
मानवीय पक्ष दिखाने की भी कोशिश की। बिठूर में अंतिम संस्कार के लिए सारी
तैयारियां पहले से की गईं थीं।
मामले में एसडीएम मैंथा, थाना प्रभारी रूरा, लेखपाल, कानूनगो अशोक
दीक्षित, अनिल दिक्षित,निर्मल दिक्षित, विशाल, जेसीबी ड्राइवर समेत कुल 42 लोगों पर 302,
307,436,429,323,34 धाराओं में मुकद्दमा दर्ज किया गया है। एसडीएम पर कार्रवाई
करते हुए उनको तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है, जबकि लेखपाल को गिरफ्तार कर लिया गया है।
सोमवार की दोपहर करीब एक बजे तहसील के एसडीएम के नेतृत्व
में एक टीम फिर मड़ौली गांव पहुंची और और गोपाल का घर गिराने की कार्रवाई की। इस
कार्रवाई से आहत होकर प्रमिला दीक्षित ने खुद को आग के हवाले कर दिया, इससे प्रमिला और उनकी बेटी नेहा की मौत हो
गई थी।
ज्ञात हो कि बीते जनवरी को उनका एक कमरे का पक्का मकान
प्रशासन द्वारा घर गिराये जाने के बाद गोपाल अपने परिवार और अपने मवेशियों को लेकर
डीएम के पास शिकायत दर्ज कराने पहुंचे थे। जहां से उन्हें दुत्कार कर वापस भेज
दिया गया था। बाद में उनके खिलाफ मुकद्द्मा भी दर्ज किया गया था।
प्रशासन की इस कार्रवाई पर सरकार में मंत्री प्रतिभा शुक्ला
ने भी सवाल उठाए थे। उन्होंने इस घटना के लिए जिले की डीएम नेहा जैन पर सवाल उठाए
थे। विपक्ष की तरफ से समाजवादी पार्टी ने भी सवाल उठाए थे।
पीड़ित परिवार की तरफ से 5 करोड़ के मुआवजा, घर के दो सदस्यों की सरकारी नौकरी, परिवार को आजीवन पेंशन, मृतक के दोनों बेटों को सरकार की तरफ से
आवास की मांग की गई थी। प्रशासन द्वारा
परिवार को समझाने की नाकाम कोशिशों के बाद उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने परिवार से
बात कर मामले को शांत कराया।
अपनी राय बतायें