देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की सभा में मौलाना महमूद असद मदनी बेहद भावुक हो गए। मदनी ने शनिवार को कहा कि हालात मुश्किल हैं लेकिन मायूस होने की कोई जरूरत नहीं है।
काशी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि विवाद सहित तमाम मामलों के शोर के बीच हो रही जमीयत की यह सभा बेहद अहम है। यह दो दिन तक चलेगी। इस सभा में बड़ी संख्या में मुसलिम धर्म गुरुओं के साथ ही बुद्धिजीवी भी भाग ले रहे हैं।
मदनी ने कहा कि बहुत सारे लोग राष्ट्र निर्माण, राष्ट्र सुरक्षा की बातें करते हैं लेकिन जुल्म बर्दाश्त कर लेना, अत्याचारों को सह लेना, बेइज्जत हो जाना और बेइज्जत होकर भी खामोश रह जाना कोई हमसे सीखे।
किस अखंड भारत की बात?
मदनी ने कहा कि लोग एकता और अखंडता की बात करते हैं, अखंड भारत बनाने की बात करते हैं और मुसलमानों का रास्ते में चलना दुश्वार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग किस अखंड भारत की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सब्र कमजोरी की निशानी नहीं है।
मदनी ने कहा कि हम हर चीज पर समझौता कर सकते हैं लेकिन अपने ईमान से समझौता नहीं कर सकते।
इन सब मामलों को लेकर मुसलिम और हिंदू समुदाय अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है तो अदालतों में भी दोनों समुदायों के पैरोकार आमने-सामने हैं।
सड़क, चौराहे से लेकर टीवी, सोशल मीडिया तक इन सभी मुद्दों को लेकर जोरदार चर्चा है। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की सभा में इन सभी मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
इसके अलावा इस सभा में समान नागरिक संहिता को लेकर भी चर्चा हो सकती है। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद मुसलमानों का एक बड़ा संगठन है और इसकी तमाम राज्यों में शाखाएं हैं। सभा को लेकर पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद है।
इन तमाम मामलों को लेकर मुसलिम संगठन मुखर हैं और पीएफआई ने भी हिंदू पक्ष की ओर से किए जा रहे तमाम दावों का विरोध किया है। हाल ही में इस विषय में केरल में पीएफआई की बैठक बुलाई गई थी।
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी 1991 के पूजा स्थल कानून का हवाला देते हुए कहा है कि मस्जिदों में सर्वे कराया जाना पूरी तरह गैरकानूनी है। उन्होंने कहा है कि मुसलिम समुदाय अपनी एक मस्जिद को खो चुका है और अब वह आगे और मस्जिद नहीं खोना चाहता।
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