हाथरस में दलित महिला के साथ कथित तौर पर बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार की संवेदनहीनता तो उसी समय उजागर हो गई जब आनन-फानन में रात के ढाई बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया और उसका मृत शरीर भी उसके परिजनों को नहीं सौंपा गया। अब एक नए घटनाक्रम में ज़िला प्रशासन की क्रूरता सामने आ रही है जिसमें प्रशासन के आला अधिकारी उसके परिजनों को डरा धमका रहे हैं। एक वीडियो सामने आया है जिसमें पीड़िता की बहन प्रशासन पर बयान बदलने का दबाव डालने का आरोप लगा रही है।
बयान बदलने का दबाव
एनडीटीवी ने अपनी खबर के साथ एक वीडियो भी डाला है। इस वीडियो में ज़िला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्सकर कहते हुए सुने जाते हैं, 'अपनी विश्वसनीयता ख़त्म मत कीजिए। ये मीडिया के लोग..कुछ आज चले गए, कुछ कल चले जाएंगे। सिर्फ हम आपके साथ रहेंगे। यह आप पर निर्भर है कि आप बयान बदलें या नहीं। कल हम भी बदल सकते हैं।'
इसी वीडियो में पीड़िता की बहन भी यह बात दुहराती है कि ज़िला मजिस्ट्रेट ने उसे धमकाया है। वह कहती है कि प्रशासन के लोगों ने उस पर दबाव डाला है कि वह और उसके पिता अपना बयान बदल दें।
वह कहती है, 'वे हम पर दबाव डाल रहे हैं। वे हमें कह रहे हैं कि यदि हमारी बेटी कोरोना वायरस संक्रमण से मर गई होती तो उसे मुआवजा मिलता। वे कह रहे हैं कि मामला रफा-दफा हो जाएगा। हमें धमकियाँ मिल रही हैं। हमारे पिता को धमकियाँ दी जा रही हैं।'
ज़िला मजिस्ट्रे पर आरोप
पीड़िता की बहन ने ज़िला मिस्ट्रेट पर खुले आम आरोप लगाया है। वह उसी वीडियो में कह रही है, '
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'ज़िला मजिस्ट्रेट बहुत ही काइयाँ है, वह हम लोगों को ठगने की कोशिश कर रहा है। वे हम लोगों को यहां रहने नहीं देंगे। वे हम पर दबाव डाल रहे हैं। वे कह रहे हैं कि हम अपना बयान बदलते रहते हैं और इसलिए हम पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।'
हाथरस कांड की पीड़िता की बहन
ज़िला मजिस्ट्रेट ने एनडीटीवी से बात करते हुए इन बातों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, 'मैं पीड़िता के परिवार के 6 लोगों से मिला, मैं फिर मिला और उनकी शिकायतें जानना चाहता था। मैं इस बातचीत से जुड़ी झूठी अफ़वाहों से इनकार करता हूं। उनकी मुख्य चिंता यह है कि अभियुक्तों को फाँसी होनी चाहिए, मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी।'
कारण क्या है?
समझा जाता है कि प्रशासन पीड़िता के परिजनों पर दबाव इसलिए डाल रहा है कि दलित युवती की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। इसमें यह साफ लिखा है कि उसकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर था और उसका गला भी दबाया गया। यह रिपोर्ट दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल द्वारा तैयार की गई है। यहीं पीड़िता ने दम तोड़ा था।पीड़िता के परिजनों की ओर से लगातार यह आरोप लगाया जा रहा है कि उनकी बेटी को अभियुक्तों द्वारा जमकर पीटा गया, उसकी गर्दन तोड़ी गयी, कमर की हड्डी में भी चोट थी। इस बात को पीड़िता का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने भी स्वीकार किया था। लेकिन उत्तर प्रदेश की पुलिस इसे मानने के लिए तैयार नहीं है।
बुरी तरह से पिटाई के बाद लकवाग्रस्त हो चुकी पीड़िता के शरीर पर आई गंभीर चोटों का भी जिक्र सरकारी मेडिकल रिपोर्ट में नहीं किया गया है। बल्कि महज दुपट्टे से गला कसने का जिक्र किया गया है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट कहती है कि पीड़िता की गर्दन पर चोट के निशान हैं और कई बार उसका गला घोटने की कोशिश की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी वजह से मौत नहीं हुई है। आगे कहा गया है कि विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा कि मौत का असली कारण क्या था। अस्पताल की ओर से कहा गया है कि पीड़िता का विसरा सुरक्षित रख लिया गया है और कई अन्य अहम चीजें भी जांच अफ़सर को दे दी गई हैं। इस रिपोर्ट में बलात्कार का जिक्र नहीं किया गया है।
पुलिस अब बलात्कार से इनकार कर रही है। समझा जाता है कि प्रशासन इस बलात्कार के आरोप को ग़लत साबित करने और मामले का रफा-दफा करने के लिए पीड़िता के परिजनों का बयान बदलवाना चाहता है।
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