क्या पीड़िता के शव को रात ढाई बजे जला देने वाली यूपी पुलिस भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी? यह तो खुला मामला है, जिसमें अमित मालवीय ने हाथरस पीड़िता का वीडियो ट्वीट किया है और इस तरह उनकी पहचान उजागर की है जो भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध है। इस पर दो साल तक के जेल की सज़ा हो सकती है। यह सवाल इसलिए उठता है कि इस कांड में पुलिस, प्रशासन और योगी अदित्यनाथ सरकार का रवैया बेहद संवेदनहीन रहा है।
अमित मालवीय ने ट्वीट किया, 'हाथरस पीड़िता की एएमयू के बाहर एक रिपोर्टर से बातचीत, जिसमें उसने दावा किया कि उसका गला दबाने की कोशिश की गई। इसका मक़सद किसी अपराध के उत्पीड़न को कम करना नहीं है, पर यह ग़लत है कि इसे एक दूसरे बेहद जघन्य अपराध के रूप में पेश किया जाए।'
बीजेपी की संवेदनहीनता
अमित मालवीय यह कहना चाहते हैं कि पीड़िता ने गला दबाने की कोशिश किए जाने की बात कही है, बलात्कार होने की नहीं।
लेकिन मालवीय यहीं नहीं रुके। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख ने इसके साथ एक वीडियो भी अटैच कर दिया। इस वीडियो में पीड़िता ज़मीन पर लेटी हुई दिखती है, उसका चेहरा साफ दिख रहा है।
भारतीय दंड संहिता के मुताबिक़, किसी यौन हमले या संदिग्ध यौन हमले की शिकार महिला महिला की पहचान उजागर करना दंडनीय अपराध है और इस पर दो साल जेल तक की सज़ा हो सकती है।
क्या कहना है महिला आयोग का?
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इसका संज्ञान लिया है। इसकी अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'यदि वह बलात्कार पीड़िता है तो उसका वीडियो ट्वीट करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और ग़ैरक़ानूनी भी है।'लेकिन अमित मालवीय पर कोई असर नहीं पड़ा है, वह यह मानने को कतई तैयार नहीं हैं कि उन्होंने कुछ भी ग़लत किया है।
यह इससे जाहिर है कि बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख ने इसके बाद एक और ट्वीट किया। उन्होंने सवाल उठाया, 'कुछ लोग क्यों हाथरस अपराध को यौन हमले का रंग देना चाहते हैं जबकि न तो पीड़िता न ही उसकी माँ ने शुरुआती बयान में यह कहा है न ही किसी मेडिकल एजेन्सी की रिपोर्ट में बलात्कार का संकेत दिया गया है। क्या शारीरिक हमला और इसस उसकी मौत कमतर अपराध है?'
अमित मालवीय नहीं नहीं रुके। उन्होंने बीजेपी महिला मोर्चा की सोशल मीडिया सेल की प्रभारी प्रीति गांधी का ट्वीट भी रिट्वीट कर दिया। इस ट्वीट में कहा गया है,
“
'क्या आप विस्तार से बता सकते हैं कि पीड़िता का वीडियो पोस्ट करना किस नियम का उल्लंघन है? किसी रिपोर्ट में नहीं कहा गया है कि उस पर यौन हमला हुआ था। यह सिर्फ लुटियन मीडिया की कल्पना है। क्या यहां कोई नियम- क़ानून काम करता है या कुछ लोगों के दिमागी फितूर से ही सबकुछ नियंत्रित होगा।'
प्रीति गांधी, प्रभारी, बीजेपी महिला मोर्चा की सोशल मीडिया सेल
बीजेपी की महिला सेल की सोशल मीडिया की प्रमुख का जवाब थोड़ी कोशिश से मिल सकता है। भारतीय दंड संहिता 228 'ए' में कहा गया है,
जो कोई ऐसी कोई सामग्री प्रकाशित करे या किसी भी दूसरे तरीके से किसी की पहचान उजागर करे जिस पर धारा 376, 376 ए, 376 बी, 376 डी या 376 ई के तहत अपराध हुआ है, उसे दो साल तक की सज़ा हो सकती है और उस पर ज़ुर्माना लगाया जा सकता है।'
मालवीय के ख़िलाफ़ कार्रवाई?
हाथरस मामले में दायर एफ़ाआईआर में धारा 302 (हत्या), धारा 376 डी (बलात्कार) और एससी-एसटी एक्ट लगाया गया है।
इससे साफ होता है कि अमित मालवीय ने जो कुछ किया है, वह ग़ैरक़ानूनी है, दंडनीय अपराध है, इस पर दो साल तक की जेल हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'अदालतों ने कई बार कहा है कि बलात्कार की शिकार महिलाओं की पहचान किसी हाल में उजागर नहीं की जानी चाहिए।'
उन्होंने यह भी कहा कि वह उत्तर प्रदेश पुलिस और अमित मालवीय से बात करेंगी।
यह बात महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश का पुलिस प्रशासन इस मुद्दे पर बचने की कोशिश कर रहा है।
यूपी के पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने कहा कि उन्होंने वह वीडियो नहीं देखा है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। अतिरिक्त गृह सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा, 'मैं इस समय इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।'
संवेदनहीन सरकार
हाथरस कांड में उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन की संदेहनहीनता शुरू से ही साफ रही है। राज्य सरकार और प्रशासन की काफी फ़जीहत होने के बाद डैमेज कंट्रोल करने के लि डीजीपी और अतिरिक्त गृह सचिव ने शनिवार को पीड़िता कि परिजनों से मुलाक़ात की। उसके बाद ये दोनों इस मुद्दे पर कुछ कहने से बच रहे हैं और किसी तरह कार्रवाई करने की बात नहीं कह रहे हैं। इससे यह भी जाहिर होता है कि शनिवार को पीड़िता के परिवार वालों से मिलना सिर्फ दिखावे के लिए था।
कैसा सत्ताधारी वर्ग?
सवाल यह उठता है कि आखिर योगी आदित्यनाथ की सरकार इतनी क्रूर और अमानवीय क्यों है। इसके साथ अहम सवाल यह भी है कि बीजेपी के लोग इस कदर संवेदनहीन और अमानवीय क्यों और कैसे हो जाते हैं। पार्टी की आईटी सेल का प्रमुख कैसे बलात्कार पीड़िता का वीडियो ट्वीट कर सकता है। कैसे उसी पार्टी की महिला सेल की कोई सदस्या इसे उचित ठहराती है। वह कैसे बड़े ही दंभ से चुनौती देती है कि कोई बताए कि यह किस नियम का उल्लंघन है।यह दिखाता है कि हमारा सत्ताधारी वर्ग किस तरह संवेदनहीन ही नहीं, बल्किर क्रूर हो सकता है। इससे पता चलता है कि वह किस तरह खुद को उचित ठहराने के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकता है।
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