हाथरस मामला बीजेपी के गले की फांस बन गया है। योगी सरकार इसे लेकर बुरी तरह घिर गयी है क्योंकि उसने इस मामले में पैदा हुए आक्रोश को यह कहकर दबाने की कोशिश की कि प्रदेश में जातीय हिंसा कराने की साज़िश रची जा रही थी। उसके सलाहकारों का कहना था कि इसके लिए इसलामिक देशों से 100 करोड़ की फंडिंग हो रही थी।
लेकिन यह ‘थ्योरी’ तो गिर गई। क्योंकि 'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट के अनुसार ईडी ने फंडिंग की बात को ग़लत बताया है। अब सरकार को सांप सूंघ गया है। यह तो है बाहर की मुसीबत। पार्टी के अंदर भी हाथरस मामले को लेकर घमासान मचा हुआ है।
इस मामले में बीजेपी के पूर्व विधायक राजवीर सिंह पहलवान और सांसद राजवीर दिलेर और उनकी बेटी मंजू दिलेर आमने-सामने हैं। दिलेर से ज़्यादा मंजू दिलेर मुखर हैं। पहलवान अभियुक्तों के समर्थन में ताल ठोककर खड़े हैं और उनका कहना है कि पीड़िता की हत्या उसकी मां और भाई ने की है। पहलवान इसे लेकर गांव के सवर्ण समाज की पंचायत भी बुला चुके हैं।
दूसरी ओर, सांसद राजवीर दिलेर और उनकी बेटी मंजू दिलेर पीड़िता के पक्ष में हैं और उसके लिए इंसाफ़ की लड़ाई लड़ रहे हैं। मंजू दिलेर बीजेपी में अच्छे कद की नेता हैं, वह राज्य बीजेपी में सचिव रह चुकी हैं और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की सदस्य हैं।
बीजेपी से जुड़े सवर्ण समाज के नेता हाथरस के मामले में सांसद और उनकी बेटी की भूमिका को लेकर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं।
पहलवान का आरोप है कि हाथरस मामले में मंजू दिलेर पीड़िता के परिवार का पक्ष ले रही हैं क्योंकि पीड़िता और दिलेर दोनों एक ही जाति से संबंध रखते हैं। पहलवान कहते हैं कि अभियुक्तों को बेवजह फंसाया जा रहा है और लोग उन्हें सबक सिखाएंगे।
योगी सरकार क्यों कह रही है कि पीड़िता के साथ गैंगरेप नहीं हुआ। देखिए, वीडियो -
दलित सांसद भी नाराज
कुछ दिन पहले ही ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के साथ बातचीत में उत्तर प्रदेश बीजेपी के चार दलित सांसदों ने हाथरस मामले में पुलिस की कार्रवाई की निंदा की थी और परिवार को शामिल किए बिना पीड़िता का दाह संस्कार करने पर भी सवाल उठाए थे।
सांसदों ने कहा था कि पुलिस में जातिवाद और भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं और राज्य की पुलिस ग़रीबों और दलितों का उत्पीड़न कर रही है। हालांकि इन सांसदों ने पार्टी लाइन से बंधे होने के कारण कहा था कि योगी सरकार दोषियों को कड़ी सजा दिलाएगी, ऐसा उन्हें विश्वास है।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सवा साल का वक्त बचा है। राम मंदिर के शिलान्यास के बाद ख़ुद को हिंदू मतदाताओं के मतों का स्वाभाविक दावेदार बता रही बीजेपी को हाथरस मामले से झटका लगा है क्योंकि यहां दलित और कथित उच्च जाति के लोग आमने-सामने हैं।
योगी सरकार पर अभियुक्तों के सवर्ण जाति से होने के कारण उन्हें बचाने का आरोप लग रहा है और इससे दलित समुदाय के भीतर नाराज़गी बढ़ने की चर्चा है। क्योंकि दलित समुदाय अभियुक्तों के लिए सजा चाहता है जबकि सवर्ण समुदाय उन्हें निर्दोष बताने पर आमादा है।
उत्तर प्रदेश में दलितों की बड़ी आबादी को देखते हुए योगी सरकार नहीं चाहती कि वह इस समुदाय की नाराजगी मोल ले। लेकिन हाथरस मामले में दलित समुदाय पीड़िता के लिए इंसाफ़ चाहता है। और अगर ऐसा नहीं होता है तो बीजेपी के सत्ता में लौटने की संभावनाओं को धक्का लग सकता है।
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