कोरोना से लड़ाई में जुटे डॉक्टर्स ने वीडियो जारी कर एक बार फिर दिखाया है कि वे किस हालात में अपना काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के रायबरेली के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ़ ने तीन वीडियो जारी किए हैं।
डॉक्टर्स ने मंगलवार को वीडियो जारी कर कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से ये लोग अपने घर नहीं जा रहे हैं। उन्हें एक सरकारी स्कूल में रहने के लिए जगह दी गई है। डॉक्टर्स ने वीडियो में बताया है कि वे किस दयनीय परिस्थिति में वहां रह रहे हैं।
एक वीडियो में एक डॉक्टर स्कूल के हालात दिखाते हुए कहते हैं, ‘सुबह के 3 बजे हैं। यहां बिजली नहीं है, स्कूल के एक क्लासरूम में चार चारपाई लगाई हुई हैं। एक पंखा तक काम नहीं कर रहा है।’ इसके बाद डॉक्टर बाथरूम दिखाते हैं, जहां पर टॉयलेट पूरी तरह चोक हैं, यूरिनेल की हालत बदतर है।
एक अन्य वीडियो में लंच को लेकर डॉक्टर ने दिखाया है कि उन्हें पॉलीथिन में भरकर खाना दे दिया गया है। एक ही पॉलीथिन में पूड़ी और सब्जी भरी हुई है। डॉक्टर कहते हैं कि पीने के पानी तक के लिए उन्हें परेशान होना पड़ रहा है और नहाने की भी कोई व्यवस्था नहीं है।
एक डॉक्टर ने सवाल उठाया कि अगर उनमें से कोई एक कोरोना पॉजिटिव हो गया तो बाक़ी लोगों का क्या होगा। वह कहते हैं कि कोराना पॉजिटिव मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स को क्या इसी तरह की सुविधाएं मिलनी चाहिए। इस जिले में अब तक कोरोना संक्रमण के 43 मामले सामने आ चुके हैं।
ऐसे करेंगे सम्मान?
सीधा सवाल यही है कि जिन कोरोना वॉरियर्स का सम्मान करने की बात सरकार बार-बार कह रही है, उन्हें नरकीय स्थितियों में रहकर मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है। इसके अलावा देश भर से डॉक्टर और नर्स पीपीई किट तो छोड़िए दस्ताने, मास्क न होने की शिकायत कर रहे हैं। ऐसे में कोरोना वॉरियर्स का क्या और कैसा सम्मान हम कर रहे हैं, इसका जवाब केंद्र और राज्य की योगी सरकार को देना चाहिए।
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