चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से कहा है कि वह इस बात का सुबूत दें कि उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची से मुसलिमों और यादवों के नाम हटा दिए गए थे। बताना होगा कि बीते महीने अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली जीत के पीछे एक बड़ी वजह यह थी कि चुनाव आयोग ने हर विधानसभा सीट पर मुसलमानों और यादवों के लगभग 20,000 वोट काट दिए थे।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन को जीत मिली थी जबकि समाजवादी पार्टी के गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था।
अखिलेश यादव के बयान को चुनाव आयोग ने बेहद गंभीर बताया है। उस वक्त अखिलेश यादव के इस बयान को लेकर काफी चर्चा भी हुई थी।
सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव के बयान का संज्ञान इसलिए भी लिया है क्योंकि अखिलेश अनुभवी राजनेता हैं और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसलिए उनके द्वारा लगाए गए आरोप को गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें इस संबंध में सुबूत देने के लिए कहा है। आयोग ने अखिलेश यादव से कहा है कि वह अपना जवाब 10 नवंबर तक उसे भेज दें जिससे इस संबंध में आगे की कार्रवाई की जा सके।
द हिंदू के मुताबिक, चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि अखिलेश यादव से कहा गया है कि वह अपने इस आरोप को लेकर हर विधानसभा क्षेत्र से मुसलिम और यादव मतदाताओं के कथित तौर पर हटाए गए नामों का आंकड़ा दें और अपने दावे के संबंध में तमाम सुबूत भी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराएं।
द हिंदू के मुताबिक, चुनाव आयोग को उत्तर प्रदेश में किसी भी विधानसभा क्षेत्र से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाने के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली। हालांकि एक विधानसभा क्षेत्र से यह शिकायत की गई थी कि वहां पर अल्पसंख्यक और दलित समुदाय के 10000 लोगों के नाम हटा दिए थे। यह शिकायत अलीगंज विधानसभा क्षेत्र से सपा उम्मीदवार रामेश्वर प्रसाद यादव ने की थी लेकिन जांच के बाद चुनाव आयोग ने इस शिकायत को बेबुनियाद और गलत पाया था।
देखना होगा कि अखिलेश यादव अपने इस दावे के संबंध में क्या सुबूत चुनाव आयोग को उपलब्ध करवाते हैं।
अपनी राय बतायें