loader

जेएनयू के बाद एएमयू को भी 'देशद्रोह का अड्डा' बनाने की कोशिश?

निजी चैनल रिपब्लिक टीवी के स्टाफ़ के साथ झगड़ा होने पर अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के 14 छात्रों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया गया है। यह मुक़दमा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता की शिकायत पर दर्ज हुआ है। इस संबंध में एएमयू छात्रसंघ और एएमयू प्रशासन की ओर से भी शिकायत दर्ज कराई गई है। तनाव को देखते हुए कैंपस में सुरक्षा के इंतजाम कड़े कर दिए गए हैं। शहर में इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया गया है। 

एएमयू छात्रसंघ की ओर से एएमयू कैंपस में आयोजित एक कार्यक्रम में एआईएमआईएम सांसद असदउद्दीन ओवैसी को बुलाया गया था। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने ओवैसी के आने का पुरजोर विरोध किया। यह अलग बात है कि ओवैसी इस कार्यक्रम में नहीं आए। पुलिस का कहना है कि सांसद असदुद्दीन ओवैसी के कैंपस में आने को लेकर विवि के छात्रों की टीवी चैनल के स्टाफ़ के साथ कहासुनी हुई थी। 

इस संबंध में एएमयू प्रशासन और टीवी चैनल के स्टाफ़, दोनों की ओर से सिविल लाइन पुलिस थाने में मुक़दमा दर्ज कराया गया है। बुधवार देर रात एबीवीपी कार्यकर्ता मुकेश लोधी की शिकायत पर 14 छात्रों के ख़िलाफ़ देशद्रोह की धारा 124-ए, हत्या का प्रयास की धारा 307 और 8 अन्य धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया गया। एफ़आईआर में एएमयू छात्रसंघ के अध्यक्ष सलमान इम्तियाज़, उपाध्यक्ष हुफ़ैज़ा आमिर का नाम भी शामिल है। 

लोधी ने आरोप लगाया है कि जब वह एएमयू कैंपस में अपनी कार से जा रहा था तो इन छात्रों ने उस पर जानलेवा हमला किया व तमंचे भी लहराए।  लोधी ने शिकायत में यह भी कहा कि इन लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद और भारत मुर्दाबाद के नारे लगाए। एबीवीपी की शिकायत में यह भी कहा गया है कि उनके साथ मारपीट की गई और एक कार्यकर्ता की बाइक में आग लगा दी गई। 

fir on 14 amu students  for sedition charges republic tv crew - Satya Hindi
एबीवीपी की ओर से दर्ज कराई गई एफ़आईआर।

छात्रसंघ ने कहा, एफ़आईआर फ़र्ज़ी 

एएमयू छात्रसंघ ने एबीवीपी की एफ़आईआर को फ़र्ज़ी बताया। छात्रसंघ का यह भी आरोप है कि बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं, और रिपब्लिक टीवी के कर्मचारियों ने कैंपस के अंदर घुसकर पहले से चल रही एक बैठक को रोकने की कोशिश की। एएमयू के छात्रों का दावा है कि कैंपस में आने की अनुमति न मिलने के बाद उन्होंने आरोप जड़ दिया कि विश्वविद्यालय में आतंकी गतिविधियाँ होती हैं। 

कैंपस में ज़बरन घुसने का आरोप

एएमयू छात्रसंघ के उपाध्यक्ष हमज़ा सूफ़यान ने आरोप लगाया कि जब रिपब्लिक टीवी से  कैंपस से बाहर जाने के लिए कहा गया तो उन्होंने कैंपस के सुरक्षा अधिकारियों के साथ बदतमीजी की। हालाँकि इस पूरे मामले में रिपब्लिक टीवी की पत्रकार नलिनी शर्मा ने कहा है कि उन्होंने छात्रों को नहीं भड़काया। एएमयू के एक और छात्र शर्जील ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ता कैंपस में घुस गए। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी युवा मोर्चा अध्यक्ष के हाथ में पिस्तौल थी।  

जेएनयू के छात्रों पर लगा था आरोप 

इससे पहले जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों पर भी आरोप लगा था कि वहाँ भारत विरोधी नारे लगाए गए थे और कश्मीर को भारत से आज़ाद कराने की बात हुई थी। मीडिया के एक तबक़े ने तब ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का शब्द इजाद किया था। इस मामले में जेएनयू के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था और उन्हें कुछ साथियों के साथ जेल की हवा खानी पड़ी थी। 

इसके बाद से ही देश में यह बहस चल पड़ी कि क्या महज नारा लगाने से ही किसी के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया जा सकता है और उस शख़्स को देशद्रोही घोषित किया जा सकता है। इस मामले में हिंदुत्ववादी ताक़तों का कहना था कि भारत के ख़िलाफ़ नारे लगाने वालों के ख़िलाफ़ किसी तरह की नरमी नहीं बरती जानी चाहिए और सख़्त सज़ा होनी चाहिए, लेकिन दूसरे तबक़े का कहना था कि देश के अंदर लोकतंत्र है और विरोध के स्वर को देशद्रोह का आरोप लगाकर नहीं कुचला जा सकता और मौजूदा सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी को देश के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी नहीं कहा जा सकता। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के झगड़े की तह में हक़ीक़त में क्या हुआ, यह पता पूरी जाँच के बाद ही लग पाएगा लेकिन सिर्फ़ एफ़आईआर में भारत मुर्दाबाद लिख देने मात्र से 14 छात्रों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज करना देशद्रोह के क़ानून का बेज़ा इस्तेमाल है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें