उत्तर प्रदेश में पाँचवें चरण के लिए मतदान 12 जिलों की 61 सीटों पर है। ये सीटें अवध, बुंदेलखंड और दोआब के इलाक़े में हैं।
इस चरण में इलाहाबाद, अमेठी, बहराइच, बाराबंकी, चित्रकूट, फैजाबाद (अयोध्या), गोंडा, कौशांबी, प्रतापगढ़, रायबरेली, श्रावस्ती और सुल्तानपुर जिलों में वोटिंग हो रही है। पांचवें चरण के चुनाव की अहम बातों के साथ ही 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर भी नज़र डालनी होगी।
2012 के विधानसभा चुनाव में इन 61 सीटों पर बीजेपी को 13.1 फीसद वोट मिले थे और उसने 5 सीटें जीती थी जबकि 2017 के चुनाव में यह वोट फीसद बढ़कर 40.3 हो गया और उसे अपनी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के साथ 50 सीटों पर जीत मिली थी। इसमें अपना दल (सोनेलाल) की तीन और बीजेपी की 47 सीटें शामिल हैं।
2017 में हुआ सपा को नुकसान
सपा को 2012 के विधानसभा चुनाव में इस इलाके में 31 फीसद वोट मिले थे और उसने 41 सीटें जीती थी। लेकिन 2017 में उसे 28.1 फीसद वोट मिले और सीटों का आंकड़ा घटकर 5 रह गया। कांग्रेस को 2012 में 13.1 फीसद वोट मिले थे और उसने 6 सीटें जीती थी। लेकिन 2017 के चुनाव में वह सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल कर सकी थी। 2017 में कांग्रेस ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।
2012 के विधानसभा चुनाव में मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी को 25 फीसद वोट मिले थे और उसने 7 सीटें जीती थी जबकि 2017 में उसका वोट फीसद घटकर 21.7 रह गया और उसे सिर्फ़ 3 सीटों पर जीत मिली।
दलित और मुसलिम मतदाता असरदार
पांचवें चरण के चुनाव में दलित और मुसलिम मतदाता बेहद ताकतवर स्थिति में हैं। मुसलिम मतदाताओं की संख्या 18 फीसद है जबकि दलित मतदाताओं की संख्या 22.5 फीसद है। दलित मतदाताओं में से 30 फीसद जाटव समाज के मतदाता हैं। इसके अलावा पासी और कोईरी मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं।
इसके अलावा सवर्ण जातियां और कुर्मी, यादव, मौर्य, शाक्य, कुछ इलाकों में लोध मतदाता, राजभर, निषाद, बघेल, पाल, प्रजापति, कुम्हार जातियों के वोटर भी अच्छी संख्या में हैं।
ये हैं बड़े चेहरे
पांचवें चरण के अगर बड़े चेहरों की बात करें तो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी जिले की सिराथू सीट से चुनाव मैदान में हैं। मौर्य के सामने अपना दल (कमेरावादी) की उम्मीदवार पल्लवी पटेल चुनाव लड़ रही हैं। पल्लवी पटेल केंद्रीय मंत्री और अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल की बहन हैं।
इस चुनाव में कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले इलाके अमेठी और रायबरेली में भी वोटिंग होनी है। इसके अलावा राम मंदिर आंदोलन के केंद्र रहे अयोध्या जिले में भी मतदान होना है। देखना होगा कि इन जिलों में कांग्रेस और बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहता है।
राम मंदिर निर्माण से उम्मीद
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को बड़ा मुद्दा बना लिया था। पार्टी को उम्मीद है कि उसे इससे अयोध्या जिले में सियासी फायदा मिलेगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अयोध्या में 49.56 फीसद वोट मिले थे। यह आंकड़ा 1991 के विधानसभा चुनाव के बाद सबसे ज्यादा था। 1991 में बीजेपी को यहां 51.3 फीसद वोट मिले थे।
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