कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में एक ओर देश भर से किसान शामिल हो रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर इन क़ानूनों के समर्थन में भी किसान लामबंद हो रहे हैं। मोदी सरकार और बीजेपी ने किसान संगठनों और आम जनता के बीच में इन कृषि क़ानूनों को बेहतर बताने के लिए पूरी ताक़त झोंक दी है और आए दिन कई किसान संगठन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिल रहे हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गुरूवार को किसान सेना के 20 हज़ार सदस्य कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने दिल्ली कूच कर चुके हैं।
किसान सेना के संयोजक ठाकुर गौरी शंकर सिंह ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि किसान सेना के जत्थे में मथुरा, आगरा, फ़िरोज़ाबाद हाथरस, मेरठ और मुज़फ्फर नगर जिलों के लोग शामिल हैं। ठाकुर ने कहा कि वे लोग कृषि मंत्री को बताना चाहते हैं कि दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसान पूरे भारत के किसानों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
बीजेपी ने झोंकी ताक़त
किसान आंदोलन में बढ़ती भागीदारी को देखते हुए बीजेपी ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाला हुआ है और वह कृषि क़ानूनों को लेकर विपक्ष पर तोहमत मढ़ रहे हैं कि वह किसानों को भड़का रहा है। बीजेपी ने तमाम आला नेताओं, मंत्रियों, सांसदों की ड्यूटी लगाई हुई है कि वे अपने इलाक़ों में जाकर कृषि क़ानूनों के समर्थन में बैठकें करें।
किसान भी अड़े
दूसरी ओर, दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे किसान लगातार सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा है कि वे कृषि क़ानूनों में संशोधन नहीं चाहते बल्कि इनको पूरी तरह रद्द होते देखना चाहते हैं। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि इन तीनों कृषि क़ानूनों पर रोक लगा दी जाए।
टिकरी, सिंघु और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों का साफ कहना है कि उन्हें इन कृषि क़ानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। ऐसे में हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं।
मन की बात का होगा विरोध
संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेताओं ने एक बार फिर कहा है कि 27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात करेंगे, वे उस दिन उसी वक़्त देश भर के लोगों से थालियां बजाने की अपील करते हैं। जम्हूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि केंद्र सरकार क़ानूनों को सही ठहराने में लगी है, इसके विरोध में उन्होंने 15 लाख पर्चे छपवाने का फ़ैसला किया है। ये पर्चे पंजाबी और हिंदी में छपवाए जाएंगे। इसके अलावा अंग्रेजी में भी 5 लाख पर्चे छपवाए जाएंगे। इन पर्चों में किसान इन क़ानूनों को लेकर क्या सोचते हैं, इस बारे में बताया जाएगा।राहुल बोले- वापस हों क़ानून
कृषि क़ानूनों के मसले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरूवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाक़ात की है। राहुल ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ 2 करोड़ हस्ताक्षरों के अवाला एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति को सौंपा। ज्ञापन में इन तीनों कृषि क़ानूनों को तुरंत निरस्त करने की मांग की गई है और इन्हें किसान, कृषि और ग़रीब विरोधी बताया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि सरकार कुछ पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है। मुलाक़ात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि इन क़ानूनों को वापस लिया जाना बेहद ज़रूरी है।
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