गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर
हार
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दिवाली में पटाखों के जबरदस्त शोरगुल और प्रदूषण के बीच योगी सरकार की ओर से अयोध्या में 12 लाख दीये जलाने का जमकर प्रचार किया गया। ये दीये 3 नवंबर को जलाए गये।
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही अयोध्या में दिवाली के दिन दीये जलाने का कार्यक्रम किया जा रहा है। इसे दीपोत्सव नाम दिया गया है। लेकिन चूंकि विधानसभा चुनाव से पहले यह अंतिम दिवाली थी, इसलिए योगी सरकार की कोशिश थी कि इसे इतने बड़े पैमाने पर किया जाए कि एक बार फिर वर्ल्ड रिकॉर्ड बन सके।
इसके लिए बड़े पैमाने पर सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया। उत्तर प्रदेश के हर गांव से 5 दीये अयोध्या लाए जाने का लक्ष्य रखा गया था। इसकी जिम्मेदारी 75 जिलों में वहां के जिलाधिकारियों को दी गई थी कि वे इसे सुनिश्चित करें कि हर गांव से पांच दीये अयोध्या लाए जाएं।
उत्तर प्रदेश में 90 हज़ार गांव हैं। इस तरह सरकारी अमला गांवों से दीये इकट्ठे करने में जुटा रहा। हर गांव से पांच दीये लाने का यह फ़ैसला लखनऊ में हुई बड़े अफ़सरों की बैठक में लिया गया था।
योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2017 में पहली बार 51,000 दीये जलाए गए। इसके बाद 2019 में 4,10,000 दीये जबकि 2020 में 6,06,569 दीये जलाए गए। इस बार सरकार ने 12 लाख दीये जलाने का लक्ष्य रखा था और पूरी मशीनरी इस लक्ष्य को हासिल करने के काम में जुटी थी। यह भी तय किया गया कि जिलाधिकारी इस काम की निगरानी करने के लिए नोडल अफ़सरों की तैनाती करेंगे।
राज्य के पर्यटन विभाग के अफ़सरों के मुताबिक़, जिलाधिकारियों की निगरानी में गांवों के ग्राम प्रधानों और गांवों में काम करने वाले कुम्हारों से संपर्क किया गया, जिससे इस लक्ष्य को मुक्कमल तौर पर हासिल किया जा सके कि राज्य के 90 हज़ार गांवों में से हर गांव से 5 दिए अयोध्या के लिए लाए जाएं।
पूरी सरकार के इस काम में जुटने के बाद आख़िरकार 12 लाख दीये जलाने का विश्व रिकॉर्ड बना और इसे एक बार फिर गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिली।
इन 12 लाख दीयों में 9,51,000 दीये अयोध्या में सरयू नदी के किनारे जलाये गये जबकि 50 हज़ार दीये राम मंदिर निर्माण की जगह पर और बाक़ी अयोध्या शहर में और कुछ अन्य मंदिरों में जलाए गए।
इसके साथ ही इन दीयों को जलाने के लिए हज़ारों लीटर तेल का इस्तेमाल हुआ। शानदार रामलीला पंडाल, लेजर शो, 3डी होलोग्राफ़िक शो, आतिशबाज़ी से लेकर तमाम बड़े इंतजामों में भी प्रशासनिक व सरकारी अमले के लोग व्यस्त रहे।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव नज़दीक है और बीजेपी ने जाहिर कर दिया है कि वह राम मंदिर निर्माण को सबसे आगे रखेगी। हालांकि मंदिर निर्माण का काम सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ है लेकिन बीजेपी नेता लगातार मोदी सरकार को इसका श्रेय देते रहे हैं।
अयोध्या में दीपोत्सव का रिकॉर्ड बनने से हर कोई ख़ुश है। लेकिन अगर जिलाधिकारियों को हर गांव से दीये लाने में और पूरे सरकारी अमले को इस रिकॉर्ड को हासिल करने में लगा दिया जाएगा तो इतने बड़े प्रदेश में आम लोगों की दिक्क़तों को अफ़सर कब सुनेंगे। ऐसे में निश्चित रूप से यह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग है।
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