उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित परिवार की जिस बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, उसने मंगलवार सुबह दिल्ली के एम्स अस्पताल में दम तोड़ दिया। 19 साल की इस लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के अलावा दरिंदों ने उसकी जीभ भी काट दी थी। यह घटना बताती है कि महिलाएं खासकर किसी दलित परिवार की बेटी उत्तर प्रदेश में क़तई महफूज नहीं है।
लड़की की पीठ में भी गहरी चोटें आई थीं। पुलिस ने बताया था कि उसकी गले की हड्डी में भी चोट है क्योंकि बलात्कारियों ने चुन्नी से उसका गला घोटने की कोशिश की थी। लड़की की हालत बेहद नाजुक थी। बताया गया है कि गांव के दबंगों ने चेताया है कि उनके ख़िलाफ़ किसी ने आवाज़ उठाई तो वे उसके साथ भी जुर्म की इंतेहा पार करेंगे। मामले के चार अभियुक्तों को पुलिस ने दबोच लिया है।
उत्तर प्रदेश में अपराध इस कदर चरम पर है कि लोगों को याद नहीं रहता कि पिछले हफ़्ते ही कोई वीभत्स कांड हुआ था। क्योंकि अगले हफ़्ते उससे भी ज़्यादा जघन्य जुर्म को अपराधी अंजाम दे देते हैं। योगी जी, फ़िल्म सिटी बनाने की बात सही है लेकिन क्राइम स्टेट बनते जा रहे उत्तर प्रदेश में आम आदमी की जान की भी कोई क़ीमत है या नहीं।
पत्रकारों की हत्या/हमले हों, ब्राह्मणों की हत्याएं हों, उद्योगपतियों को पुलिस अफ़सरों की धमकियां हो, समाज के ग़रीब और वंचित वर्ग पर दबंगों का जुल्म हो या दलितों पर असीमित अत्याचार, आए दिन जिम्मेदार टीवी चैनल और अख़बार इसे रिपोर्ट कर रहे हैं। उनका समय और स्याही ख़त्म हो सकती है लेकिन लगता है कि उत्तर प्रदेश में अपराध नहीं रुकेगा।
‘राम राज्य’ में हाहाकार
यह बात हवा में नहीं कही जा रही है, आप हिसाब लगाकर देखिए, किस दिन हत्या, अपहरण, फिरौती, बलात्कार, छेड़छाड़, लूटपाट जैसी घटनाएं नहीं हो रही हों। ऑनलाइन अख़बार पढ़ने वाले लोग किसी प्रमुख हिन्दी अख़बार के उत्तर प्रदेश के कई एडिशन पढ़ें, पता लगेगा कि ‘राम राज्य’ वाले उत्तर प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है।
‘पाकिस्तान चले जाओ’
पिछले साल के अंत और इस साल की शुरुआत में जब नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे थे, तब इसी उत्तर प्रदेश की पुलिस ने बर्बर ढंग से इसका विरोध कर रहे लोगों को पीटा था। एक पुलिस अफ़सर मुसलमानों से कह रहे थे कि पाकिस्तान चले जाओ। इसके अलावा मुसलमानों को घर में घुसकर पीटने के आरोप भी पुलिस पर लगे।
उत्तर प्रदेश में हो रहे अनगिनत-असंख्य अपराधों की कड़ी में हर दिन कई अपराध जुड़ते हैं और ग़रीब-मजबूर लोग इंसाफ़ के लिए रोते-बिलखते रह जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में गुंडाराज
हाल में कानपुर में हुई लैब टैक्नीशियन संजीत यादव की हत्या हो, ग़ाज़ियाबाद में पत्रकार विकास जोशी की बेटियों के सामने हत्या हो या फिर आज़मगढ़ में दलित प्रधान का मर्डर…ऐसे बेहिसाब मामले उत्तर प्रदेश में गुंडाराज के स्थापित हो जाने की गवाही देते हैं।
मिर्जापुर में दो दिन पहले एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के दो मैनेजरों को गोलियों से भून दिया गया। इसमें एक शख़्स की मौत हो गई है और दूसरे की हालत गंभीर है। इससे पता चलता है कि वसूली करने वाले बदमाश इस काम को पेशेवर ढंग से करते हैं। मतलब यह करना उनका पेशा बन चुका है और डर का तो सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि पुलिस निरीहों-मजलूमों पर ही जोर दिखाती है, इन पर नहीं, वरना ये इतने बेख़ौफ़ नहीं होते।
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जाति और धर्म से परे समाज के ग़रीब-कमजोर वर्ग पर, सरकार के ख़िलाफ़ मुंह खोलने वालों पर, मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ बोलने वालों पर जिस तरह का पुलिसिया जोर चलता है, वैसा जोर आख़िरकार इन अपराधियों, माफियाओं, गुंडों पर क्यों नहीं चलता।
जनता ख़ुद करे अपनी सुरक्षा
अंत में यही कहा जा सकता है कि तमाम जुल्म-ओ-सितम के बाद भी जनता को जागना होगा। बिना किसी राजनीतिक दल का साथ लिए ख़ुद की आवाज़ उठानी होगी क्योंकि उसका जुड़े रहना ज़रूरी है। राजनीतिक दल अपनी सहूलियत के हिसाब से उसका साथ देते हैं, लेकिन उसे अपना साथ खुद ही देना होगा और इसके अलावा उत्तर प्रदेश में ख़ुद की जान बचाने का कोई विकल्प भी नहीं है।
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