मोदी सरकार और बीजेपी ने हालिया मंत्रिमंडल विस्तार में दलितों की भागीदारी बढ़ाने की बात को जोर-शोर से मीडिया में पेश किया है। बताया गया है कि मोदी मंत्रिमंडल में दलित समुदाय से 12 मंत्री हो गए हैं। लेकिन बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है?
आज़मगढ़ में दलित परिवारों के घरों में तोड़फोड़ हुई है तो कानपुर के अकबरपुर इलाक़े में 20 साल के दलित युवक के साथ बर्बरता का वाकया सामने आया है।
क्या हुआ अकबरपुर में?
अकबरपुर इलाक़े की घटना में युवक को पीटने वाले लोग उससे उसकी जाति पूछते हैं और इसके बाद उसे और बेरहमी से पीटते हैं। वह युवक बुरी तरह चिल्लाता है लेकिन पीटने वालों पर कोई असर नहीं होता। पुलिस का कहना है कि इस घटना के वायरल वीडियो के बारे में पता चलते ही मुक़दमा दर्ज कर एक अभियुक्त को गिरफ़्तार कर लिया गया है और बाक़ी की तलाश की जा रही है।
एक दूसरे वीडियो में दिखता है कि युवक को अर्धनग्न हालत में पेड़ से बांध दिया गया है और उसे पीटा जा रहा है। इस दौरान एक आदमी उसके प्राइवेट पार्ट्स में डंडा डालने की कोशिश करता है।
आज़मगढ़: पुलिस पर तोड़फोड़ का आरोप
आज़मगढ़ के पलिया गांव में बुधवार को हुई एक घटना में दलित परिवारों के तीन घरों में जमकर तोड़फोड़ की गई। तोड़फोड़ का आरोप पुलिस पर लगा है। हाल ही में पंचायत चुनाव जीते मुन्ना पासवान की भाभी सुनीता देवी के मुताबिक़, मुन्ना किसी एक मामले में बात करने के लिए पुलिस के पास गए थे। लेकिन पुलिस ने मुन्ना के साथ बदतमीजी की और इसके बाद उसी दिन रात को 8.30-9 बजे पुलिस वाले हमारे घर में घुस आए।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, सुनीता देवी ने कहा कि पुलिस वालों ने घर की बिजली काट दी और उसके बाद तोड़फोड़ की। उन्होंने कहा कि पुलिस वाले अपने साथ बुलडोजर भी लेकर आए थे। हालांकि आज़मगढ़ पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि इन परिवारों ने ख़ुद ही अपने मकानों में तोड़फोड़ की है। घटना के दौरान पुलिस के डर से गांव के मर्द गांव छोड़कर भाग गए थे।
पुलिस की भूमिका पर भी सवाल
ब्लॉक प्रमुख चुनाव में महिला की साड़ी खींचने का मामला हो, पत्रकारों से मारपीट का मामला हो या फिर विपक्षी दलों के नेताओं से पर्चे छीनने और दबंगई का। ये साफ दिखाई दिया कि पुलिस की भूमिका कैसी रही है। आज़मगढ़ में तो ख़ुद दलित परिवारों ने पुलिस पर घरों में तोड़फोड़ का आरोप लगाया है।
ऐसे में बीजेपी बड़े-बड़े दावे कर रही है कि उसने दलित समाज को बड़ा प्रतिनिधित्व मोदी सरकार में दिया है और यह पिछली सरकारों से कहीं ज़्यादा है। लेकिन जब हर दिन दलितों पर उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ रही हैं तो मंत्रालयों में भागीदारी देने का क्या मतलब है।
उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय की आबादी 21 फ़ीसदी है। बीजेपी की कोशिश दलित समुदाय को भागीदारी देने की बात कहकर उन्हें लुभाने की है लेकिन दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाएं बताती हैं कि बीजेपी शासित योगी सरकार दलित उत्पीड़न को रोकने में पूरी तरह फ़ेल रही है।
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