विकास दुबे और उसके साथियों के ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार रात को बाराबंकी में किए गए एनकाउंटर में कुख़्यात बदमाश टिंकू कपाला को मार गिराया। बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि टिंकू कपाला उर्फ कमल किशोर एक लाख का ईनामी बदमाश था।
चतुर्वेदी ने कहा कि पुलिस टीम को सूचना मिली थी कि कुछ बदमाश बाराबंकी क्षेत्र में हैं, इसके बाद एसटीएफ़ टीम ने बदमाशों का पीछा किया और पुलिस के साथ एनकाउंटर में कपाला घायल हो गया था। कपाला को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
उन्होंने बताया कि कपाला के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश ही नहीं, गुजरात और महाराष्ट्र तक में 27 मुक़दमे दर्ज थे, जो हत्या व लूट से संबंधित थे। कपाला का स्थानीय आपराधिक इतिहास था और हाल ही में उसने आरके ज्वैलर्स कृष्णा नगर में लूट के बाद हत्या की वारदात को अंजाम दिया था।
चतुर्वेदी ने कहा कि कपाला मोटरसाइकिल पर अपने एक साथी बदमाश के साथ सवार था, पुलिस उसके साथी को खोज रही है।
विकास दुबे के एनकाउंटर से पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने अमर दुबे, प्रभात मिश्रा रणबीर उर्फ़ बउआ सहित कई बदमाशों को ढेर कर दिया था। इसके अलावा श्यामू वाजपेयी, जहान यादव, संजीव दुबे, जय वाजपेयी, गुड्डन त्रिवेदी सहित उसके कई साथियों को गिरफ़्तार कर लिया था।
जनवरी, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में हो रहे ताबड़तोड़ एनकाउंटर्स को बेहद गंभीर मुद्दा बताया था। एनकाउंटर्स में हुई मौतों को लेकर 2017 से अब तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) भी उत्तर प्रदेश सरकार को तीन नोटिस जारी कर चुका है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस से दस सवालों को लेकर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का वीडियो -
74 एनकाउंटर में क्लीन चिट
उत्तर प्रदेश में मार्च, 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद से ही ताबड़तोड़ एनकाउंटर हुए। कई बार इन एनकाउंटर्स को लेकर सवाल भी उठे। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, मार्च, 2017 के बाद से विकास दुबे 119वां अभियुक्त था, जो पुलिस के मुताबिक़ क्रॉस फ़ायरिंग में मारा गया। अब तक एनकाउंटर के 74 मामलों में मजिस्ट्रियल जांच पूरी हो चुकी है और उत्तर प्रदेश पुलिस को इन सभी मामलों में क्लीन चिट मिल चुकी है।
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