उत्तर प्रदेश में लगता है कि न्याय मिलना बेहद मुश्किल हो गया है और अगर आपको किसी मामले में न्याय चाहिए तो आपको ख़ुद को आग के हवाले करना होगा, तभी हो सकता है कि आपकी फरियाद सुन ली जाए। वरना आप लगाते रहिये चौकी, थानों, कोतवाली के चक्कर, कुछ नहीं होगा। और ऐसे एक नहीं सैकड़ों मामले हैं जिनमें कमजोर लोग न्याय पाने के लिए पुलिस के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन मजाल हो कि पुलिस दबंगों के ख़िलाफ़ डंडा भी चला दे। ऐसा ही एक दिल को दहला देने वाला मामला उत्तर प्रदेश के मथुरा के सुरीर इलाक़े से सामने आया है, जहाँ पुलिस की लापरवाही और दबंगों की मारपीट से परेशान होकर एक दंपति ने ख़ुद को थाने में ही आग के हवाले कर दिया। सोचिए, माचिस की तीली से हाथ छू जाए तो कितना दर्द होता है तो ख़ुद को आग लगा लेने वाले लोग किस क़दर परेशान होंगे कि उन्होंने अपनी जिंदगी ही ख़त्म करने का क़दम उठा लिया।
दंपति के द्वारा ख़ुद को आग लगाने का वीडियो और उनकी चीखें आपके कलेजे को चीर देंगी लेकिन हुक्मरानों को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि दबंगों के द्वारा कमजोरों के उत्पीड़न की ख़बरें आए दिन सुनने को मिलती हैं। हाल ही में उन्नाव रेप कांड की पीड़िता जब अपने वकील और परिजनों के साथ जा रही थी तो उन्हें ट्रक से रौंदने की कोशिश की गई। पीड़िता और उसके वकील अस्पताल में हैं और दो परिजनों की मौत हो चुकी है। लेकिन बस कुछ दिन का शोर हुआ और कुछ नहीं।
दबंगों के उत्पीड़न से परेशान दंपति बुधवार को मथुरा के सुरीर पुलिस थाने में पहुँचे और शरीर पर मिट्टी का तेल छिड़ककर ख़ुद को आग लगा ली। वायरल हो रहे इस घटना के वीडियो में आग लगाने के बाद पति-पत्नी बुरी तरह चिल्लाते हैं। पुलिस का कहना है कि दपंति 60 फ़ीसदी तक जल चुके हैं और उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भेजा गया है।
मथुरा ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक आदित्य शुक्ला ने कहा, ‘चालीस साल के जोगिंदर और उसकी पत्नी चंद्रवती ज़्यादा झुलस गए हैं। पहले उन्हें मथुरा के ही एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया।’
मथुरा के एसएसपी शलभ माथुर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘यह मामला 23 अगस्त को हुई एक घटना से संबंधित है और इस घटना में एफ़आईआर भी दर्ज है। दंपति का कहना था कि पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।’ एसएसपी ने कहा कि मामले में विस्तृत जाँच की जा रही है और इस बात का पता लगाया जा रहा है कि वे कौन से पुलिस अधिकारी थे जिन्होंने केस दर्ज होने के बाद भी कार्रवाई नहीं की।
ग्रामीणों ने पीटीआई को बताया कि जोगिंदर और उसकी पत्नी सुरीर कस्बे में ईंट भट्टे पर काम करते थे। नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने बताया कि गाँव के ही चार लोग उनका मकान हड़पना चाहते थे और उन्हें लगातार परेशान कर रहे थे।
पीड़ित जोगिंदर ने अस्पताल में दर्द से कराहते हुए कहा, ‘गाँव के दबंग लोग मुझे रोज मार रहे हैं, पुलिस मामले में कुछ भी नहीं कर रही है, मेरा सिर फोड़ दिया, मैंने डॉक्टरी जाँच भी करवाई मेरे कपड़े भी फाड़ दिये, मुझे कई दिन तक मारा गया है।’
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दबंग लोग ठाकुर जाति के हैं और उनके नाम बबलू, सुन्नू, सतपाल और थान सिंह हैं। मैंने एसएसपी को भी ख़बर दी थी, मैं कप्तान साहब तक पहुँच गया लेकिन मुझे न्याय नहीं मिला।
ग्रामीणों ने भी कहा कि 23 अगस्त को कहासुनी होने के बाद सतपाल और उसके साथियों ने जोगिंदर का सिर फोड़ दिया था लेकिन पुलिस ने जोगिंदर के सिर से ख़ून निकलता देखने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की।
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अब ऐसे हालात में एक कमजोर शख़्स क्या करेगा, या तो वह चुप हो जायेगा या ख़ुद की जिंदगी ख़त्म करने जैसा क़दम उठा लेगा और वही इस दंपति ने किया। लेकिन उन्नाव कांड, उसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर आरोप लगाने वाली लड़की का ग़ायब होना और ऐसे ही ग़रीबों को ताक़त की हनक से कुचलने के सैकड़ों मामले हम आज पढ़ेंगे और कल भूलने को मजबूर होंगे क्योंकि अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों की आवाज़ को कुचलने के लिए सत्ता और पुलिस पूरा जोर लगा देगी लेकिन मामले में कार्रवाई क़तई नहीं करेगी।
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