कांग्रेस नेताओं द्वारा सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिखने को लेकर चल रहे विवाद के बीच ही पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 2 साल बाद होने वाले चुनाव के लिए 7 पैनल बनाए हैं। इसमें जितिन प्रसाद और राज बब्बर जैसे कई बड़े नाम शामिल नहीं किए गए हैं। ये दोनों ही नेता सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में शामिल थे। इसके अलावा आरपीएन सिंह, राजीव शुक्ला और श्रीप्रकाश जयसवाल को भी कमिटी में जगह नहीं मिली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद को बड़ा पद दिया गया है। नई कमिटियों में निर्मल खत्री व नसीब पठान जैसे उन लोगों को तरजीह मिली है जिन्होंने चिट्ठी लिखने वालों की आलोचना की थी।
इन पैनलों की घोषणा रविवार को उस दिन हुई जब समझा जाता है कि यूपी के नौ निष्कासित कांग्रेस नेताओं ने पार्टी प्रमुख सोनिया गाँधी को पत्र लिखा है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन नेताओं ने लिखा है 'वे परिवार के मोह से बाहर निकलें और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ संगठन को चलाएँ।' उन्होंने लिखा है कि पार्टी नेतृत्व की अनिश्चितता ने 'कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराया है।' समझा जाता है कि पूर्व सांसद संतोष सिंह और पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी सहित यूपी कांग्रेस के कई नेताओं ने अपने पत्र में कहा, 'जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी ने लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ कांग्रेस और देश का निर्माण किया। लेकिन यह विडंबना है कि कुछ समय के लिए जिस तरह से पार्टी को चलाया जा रहा है, आम पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम और अवसाद है।'
इस बीच जो कमिटियाँ गठित की गई हैं वे उत्तर प्रदेश की चुनावी तैयारी के तौर पर हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद एक ऐसे टीम का नेतृत्व करेंगे जो दो साल बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का घोषणापत्र तैयार करेगी।
सलमान खुर्शीद छह सदस्यीय घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष होंगे, जिसके सदस्य पी एल पुनिया, सीएलपी नेता आराधना मिश्रा मोना, एआईसीसी सचिव विवेक बंसल, प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट और अमिताभ दुबे हैं।
प्रमोद तिवारी आउटरीच कमिटी के मुखिया होंगे, जबकि उत्तराखंड के कांग्रेस कमिटी के प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह सदस्यता समिति के प्रमुख होंगे। राशिद अल्वी मीडिया पैनल का नेतृत्व करेंगे।
कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश चुनाव से इतना पहले इसलिए कांग्रेस ने इन कमिटियों की घोषणा की है क्योंकि यह प्रदेश चुनाव के लिहाज के काफ़ी महत्वपूर्ण है। जो भी पार्टी केंद्र की सत्ता में आना चाहती है उसे उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ मज़बूत बनाने की ज़रूरत होती है। इसी को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी लगातार इस काम में जुटी हुई हैं। कहा तो यह जा रहा है कि चुनाव को देखते हुए प्रियंका ने पहले से ही अपनी टीम बनानी शुरू कर दी है।
हालाँकि, पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में ठीक नहीं रहा था। चुनाव से पहले प्रियंका को उत्तर प्रदेश में चुनाव की ज़िम्मेदारी दी गई थी। लेकिन कांग्रेस को इसका ज़्यादा फ़ायदा नहीं मिला। पार्टी की स्थिति ऐसी हो गई कि सोनिया गाँधी ही राय बरेली से अपनी सीट बचा सकीं, राहुल गाँधी अमेठी से चुनाव हार गए। अमेठी नेहरू-गाँधी परिवार का गढ़ रहा है, लेकिन बीजेपी की स्मृति ईरानी ने इसमें सेंध लगा दी।
अब जो नई कमिटियाँ बनी हैं उनके सामने पार्टी को ऐसी ही स्थिति से उबारने की चुनौती है। हालाँकि, दो साल बाद जो चुनाव होंगे वह विधानसभा के हैं इसलिए इस चुनाव में प्रदर्शन से पता चलेगा कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की राजनीति में वापसी किस तरह कर पाएगी।
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