लोकसभा चुनाव 2014 में वाराणसी लोकसभा सीट से नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रहे और पद्म विभूषण से सम्मानित जाने-माने शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने सोचा नहीं होगा कि उनके जीवन में इतने ख़राब दिन आएंगे। छन्नूलाल मिश्रा की बड़ी बेटी की 20 दिन पहले वाराणसी के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। तब से अब तक मिश्रा इस बात की गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें बताया जाए कि अस्पताल में उनकी बेटी के साथ आख़िर हुआ क्या।
शुक्रवार को मिश्रा जब पत्रकारों के सामने आए तो फफक पड़े। मिश्रा ने कहा कि वह रात को ढंग से सो नहीं पाते हैं और सोचते रहते हैं कि उनकी बेटी की मौत कैसे हुई होगी। उनकी मांग है कि जितने दिन तक उनकी बेटी अस्पताल में भर्ती रही, उतने दिनों की सीसीटीवी फुटेज उन्हें दे दी जाए क्योंकि वह जानना चाहते हैं कि उनकी बेटी के साथ कैसा बर्ताव हुआ। उनकी बेटी मेडविन अस्पताल में भर्ती थीं।
शास्त्रीय संगीत के गायन के लिए देश भर में पहचाने जाने वाले मिश्रा ने आरोप लगाया कि अस्पताल वालों ने परिजनों को बेटी से बात नहीं करने दी, मिलने नहीं दिया और ये भी सुना है कि बेटी को कष्ट दिए गए। उन्होंने कहा कि कमिश्नर, डीएम के कहने पर भी उन्हें सीसीटीवी फुटेज नहीं दी जा रही है।
उन्होंने दोहराया कि अस्पताल से उन्हें सीसीटीवी फुटेज दिलवाई जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में कुछ गड़बड़ ज़रूर है और वह 20 दिन बाद भी कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।
मोदी, योगी से की बात
मिश्रा ने कहा है कि उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है और मोदी ने कहा है कि इस मामले में न्याय होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इस मामले में बात की है। मिश्रा ने कहा है कि वह कमिश्नर, डीएम की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।
मिश्रा की दूसरी बेटी ने भी दीदी की मौत के बाद मेडविन अस्पताल में जाकर कहा था कि वह जानना चाहती हैं कि उनकी बहन के साथ अस्पताल में क्या हुआ था। उन्होंने कहा था कि डेढ़ लाख रुपये उनसे पहले ले लिए गए, बाद में चार लाख रुपये की और मांग की गई लेकिन अस्पताल ये यह नहीं बताया कि उनकी दीदी की मौत आख़िर हुई कैसे।
ये हालात उन पंडित छन्नूलाल मिश्रा जी के हैं, जो जाना-माना नाम हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सीधे जानते हैं तो सोचिए कि आम लोगों पर क्या गुजरती होगी।
मिश्रा के न्याय की गुहार लगाने की चर्चा सोशल मीडिया पर वायरल है और लोगों का यही कहना है कि उन्हें न्याय दिलाया जाए। लेकिन यह स्थिति उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी अपने परिजनों की जान न बचा पाने की मजबूरी को भी बयां करती है।
अपनी राय बतायें