बुलंदशहर हिंसा के अभियुक्त बीजेपी युवा मोर्चा के नेता शिखर अग्रवाल को एक संगठन में महासचिव का पद दिया गया है। इस पर हिंसा में शहीद हुए जाबांज पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पत्नी ने तीख़ी प्रतिक्रिया दी है।
शिखर अग्रवाल को 14 जुलाई को बुलंदशहर बीजेपी के अध्यक्ष अनिल सिसोदिया ने ‘प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी योजना जागरूकता अभियान’ नाम के संगठन के महासचिव का पद सौंपा। अग्रवाल को बाक़ायदा जिम्मेदारी से संबंधित मनोनयन पत्र भी दिया गया।
इस संगठन का दावा है कि इसका काम केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों का प्रचार करना है और बीजेपी के बड़े नेता इस संगठन के मार्गदर्शक हैं।
लैटर पेड पर पीएम मोदी की फ़ोटो
इस संगठन के लैटर पेड पर सबसे ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ़ोटो है। लैटर पैड में लिखा है कि इसके मार्गदर्शक मंडल में बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर, गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, श्रीपद नाइक, धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं।
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बीजेपी नेताओं की सफाई
एनडीटीवी के मुताबिक़, इस मामले में विवाद बढ़ने पर अनिल सिसोदिया का कहना है कि इस संगठन का बीजेपी से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें वहां सिर्फ़ मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी कहा है कि बीजेपी या उसके पदाधिकारियों का इस संगठन से कोई संबंध नहीं है।
शिखर अग्रवाल बीजेपी युवा मोर्चा की स्थानीय इकाई का प्रमुख भी रहा है। वह इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या की साज़िश रचने के मामले में अभियुक्त है और वर्तमान में जमानत पर बाहर है।
शिखर अग्रवाल का नाम तब भी चर्चा में आया था, जब वह इस मामले में ज़मानत पर छूटा था। उसका जोरदार नारेबाजी के साथ स्वागत हुआ था। उसके समर्थकों ने जय श्री राम के नारे लगाए थे।
इस बारे में शिखर अग्रवाल का कहना है कि आरोप लगाना एक बात है और उसे साबित करना दूसरी। शिख़र के मुताबिक़, उन्होंने जीवन में कुछ भी ग़लत नहीं किया है।
इंस्पेक्टर की पत्नी की प्रतिक्रिया
इंस्पेक्टर की पत्नी रजनी सिंह ने वीडियो जारी कर कहा है, ‘मेरा सरकार के उन लोगों से सवाल है जो इन अपराधियों को इतना बढ़ावा देकर दूसरा विकास दुबे पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं या इनको हकीक़त में पता ही नहीं होता है कि इनकी जिला स्तर पर कार्यकारिणी में क्या हो रहा है।’ इस दौरान उनका बेटा भी उनके साथ मौजूद था।
27 दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर के स्याना में गोकशी की अफ़वाह पर जमकर हिंसा हुई थी। इसे लेकर उत्तर प्रदेश में काफ़ी सियासी बवाल भी हुआ था। बवाल की सूचना पर सुबोध कुमार सिंह मौक़े पर पहुंच गए थे, जहां दंगाइयों ने उनकी हत्या कर दी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को उनकी सरकार के ख़िलाफ़ राजनीतिक साजिश करार दिया था।
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बेरहमी से हुई थी सुबोध की हत्या
पुलिस की जांच में पता चला था कि सुबोध कुमार सिंह की बेरहमी से हत्या की गई थी। पुलिस ने कहा था कि इंस्पेक्टर पर पत्थरों, रॉड और कुल्हाड़ी से हमला किया गया था और इसके बाद उन्हें लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारी गई थी। बुलंदशहर पुलिस ने कहा था कि सुबोध की हत्या को योजना बनाकर अंजाम दिया गया था। एक शख़्स ने कुल्हाड़ी से उनके सिर पर वार किया था। सुबोध का शव उनकी सरकारी गाड़ी में मिला था।
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