बीएसपी प्रमुख मायावती का बीजेपी सरकार पर लगातार हमले का आज मंगलवार 20 सितंबर को दूसरा दिन है। उन्होंने कल सोमवार से यूपी की योगी सरकार पर हमला बोलना शुरू किया था। मायावती ने मंगलवार को विपक्षी पार्टी सपा का पैदल मार्च रोकने के लिए सरकार की निन्दा की तो कल सोमवार को उन्होंने बेरोजगार युवकों के आंदोलन को लेकर सरकार पर हमला बोला था। मायावती के रुख में यह बदलाव बहुत दिनों बाद दिखा है। वो बीजेपी की आलोचना दबी जुबान से करती रही हैं और उनके निशाने पर विपक्षी दल सपा और कांग्रेस ज्यादा रहे हैं।
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महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उन पर दमन चक्र के पहले बीजेपी जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आम जनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है।
-मायावती, बीएसपी प्रमुख, 20 सितंबर को एक ट्वीट में
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना बीजेपी सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है। साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक।
बीएसपी प्रमुख ने कहा - इसी क्रम में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आंदोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है वह अनुचित व निन्दनीय। यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करे, बीएसपी की माँग।
मायावती ने सोमवार को भी बीजेपी सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा - यूपी विधानसभा मॉनसून सत्र से पहले बीजेपी का दावा कि प्रतिपक्ष यहाँ बेरोजगार है, यह इनकी अहंकारी सोच व गैर-जिम्मेदाराना रवैये को उजागर करता है। सरकार की सोच जनहित व जनकल्याण के प्रति ईमानदारी एवं वफादारी साबित करने की होनी चाहिए, न कि प्रतिपक्ष के विरुद्ध द्वेषपूर्ण रवैये की। उन्होंने कहा था - यूपी सरकार अगर प्रदेश के समुचित विकास व जनहित के प्रति चिंतित व गंभीर होती तो उनका यह विपक्ष-विरोधी बयान नहीं आता, बल्कि वे बताते कि जबर्दस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, गड्डा युक्त सड़क, बदतर शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था में नजर आने वाला सुधार किया है व पलायन भी रोका है।
मायावती का यह बयान सोमवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के उस बयान के बाद आया था, जिसमें केशव ने विपक्ष के धरना-प्रदर्शन को बेरोजगार विपक्ष की हताशा बताया था। केशव मौर्य ने निशाना अखिलेश पर साधा था लेकिन मायावती ने उसका जवाब दिया।
मायावती ने दलितों के मुद्दों को छोड़कर योगी सरकार पर इतना तीखा हमला पहले नहीं बोला था। उन्होंने लगातार दो दिनों तक सरकार को घेरने वाले बयान भी नहीं दिए थे। लेकिन अब वो थोड़ा मुखर हो रही हैं। हालांकि बीएसपी के पास दलितों का सॉलिड वोटबैंक है, इसके बावजूद विपक्षी दल के तौर पर बीएसपी की यूपी के राजनीति में फिलहाल कोई भूमिका नजर नहीं आ रही है। लेकिन उनके दो दिनों के बयान यूपी की बदलती राजनीति का संकेत है। अखिलेश यादव की सपा भी काफी दिनों से चुप बैठी हुई थी। लेकिन उसने पिछले दस दिनों में दो बार सड़कों पर आकर प्रदर्शन किया है। हालांकि यह सक्रियता तभी आई जब कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा करके एक महत्वपूर्ण पार्टी होने का एहसास देश को कराया।
हाल ही में यूपी में योगी सरकार ने कई जनविरोधी फैसले किए। पैगंबर मोहम्मद की तौहीन के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों के दौरान हिंसा होने के बाद योगी सरकार ने बड़े पैमाने पर एकतरफा कार्रवाई करते हुए मुस्लिम युवकों की धरपकड़ की। बिना किसी कोर्ट का फैसला आए मकानों पर बुलडोजर चला दिए गए। इलाहाबाद के करेली में एक्टिविस्ट आफरीन फातिमा की मां का घर गिरा दिया गया। इन सारे घटनाक्रमों पर कांग्रेस ने विरोध किया। लेकिन सपा और बीएसपी चुप रहे। सपा को मुसलमानों का एकतरफा वोट पिछले विधानसभा चुनाव में मिला था। लेकिन पार्टी ने किसी भी तरह का प्रदर्शन योगी सरकार के खिलाफ नहीं किया।
बहरहाल, यूपी में विपक्ष जाग रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी पूरी तरह जुटी हुई है। यूपी में सपा और बीएसपी की सक्रियता बता रही है कि वो भी चुनावी गियर में धीरे-धीरे आ रही है। जेडीयू के सीनियर नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार को सपा ने यूपी में कहीं से भी लोकसभा चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है। जिसमें फूलपुर सीट का नाम टॉप पर है। इस तरह यूपी में विपक्ष राजनीति के बादल हल्के ही सही छंटते दिखाई दे रहे हैं।
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