बाबूलाल मरांडी
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उत्तर प्रदेश बीजेपी में आया सियासी तूफ़ान थम गया है और पार्टी अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गयी है। ऐसा नहीं होता तो प्रदेश में पार्टी के तीन बड़े चेहरों को कार्यकर्ताओं को एकजुट करने, पूरे प्रदेश के लगभग सभी जिलों में जाने और कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के कामों का प्रचार करें, यह बताने का जिम्मा नहीं दिया जाता।
इन तीन बड़े नेताओं में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, पार्टी के महासचिव (संगठन) सुनील बंसल और प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह शामिल हैं।
‘इकनॉमिक टाइम्स’ ने कहा है कि इन तीनों ही नेताओं को लक्ष्य दिया गया है कि वे राज्य भर का दौरा कर असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को समझाएं और जिलों में ज़मीनी स्तर पर इस बात की समीक्षा करें कि आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां कैसी चल रही हैं।
प्रदेश में 8 महीने बाद विधानसभा के चुनाव हैं और 24 करोड़ आबादी वाले और 403 विधानसभाओं वाले इस राज्य में चुनावी तैयारियों के लिए इतना वक़्त कम होता है। यही सोचकर पार्टी ने इन नेताओं को जिम्मेदारियां सौंप दी हैं।
ये तीनों नेता इन दिनों राज्य के कई इलाक़ों का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान वे हर जिले में वरिष्ठ नेताओं के साथ बंद कमरों में बैठक कर रहे हैं और सांसदों-विधायकों, जिलाध्यक्षों और जिला प्रभारियों से बातचीत कर रहे हैं। इनकी कोशिश उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से ज़्यादा से ज़्यादा जिलों को कवर करने की है। इनके ये दौरे 23 जून से शुरू हुए थे और 6 जुलाई से पहले ख़त्म हो सकते हैं।
‘इकनॉमिक टाइम्स’ के मुताबिक़ बंद कमरों में होने वाली बैठकों में इन नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि मोदी व योगी सरकार के द्वारा राज्य के लिए किए गए कामों के बारे में जनता को बताएं। इसमें विशेष तौर पर केंद्र सरकार के सभी के लिए मुफ़्त टीकाकरण के फ़ैसले के बारे में लोगों को बताने के लिए कहा गया है।
उत्तर प्रदेश में एक महीने पहले जबरदस्त राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बन गया था। इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष दो बार लखनऊ के दौरे पर आ चुके हैं। यहां उन्होंने पार्टी और आरएसएस के पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसके अलावा संघ में नंबर दो दत्तात्रेय होसबोले भी लखनऊ आए थे।
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह जब विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मिले तो तमाम तरह की सियासी चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया था।
इसके बाद योगी आदित्यनाथ दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे और माना जा रहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार और बीजेपी संगठन में कोई बड़ा बदलाव हो सकता है लेकिन मोदी के करीबी अफ़सर अरविंद कुमार शर्मा को प्रदेश बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाए जाने से तमाम तरह की चर्चाओं पर विराम लग गया था। हालांकि अभी कैबिनेट का विस्तार होना बाक़ी है।
स्वतंत्र देव सिंह को बृज और कानपुर के जिलों की, सुनील बंसल को अवध के और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाक़ों की और राधा मोहन सिंह को पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बचे हुए हिस्सों की जिम्मेदारी दी गई है।
इस दौरान ये नेता कार्यकर्ताओं से चुनाव के लिए तैयार रहने, सभी मोर्चों के पदाधिकारियों को सक्रिय करने और अपने व्यक्तिगत झगड़ों को छोड़कर एकजुट होकर पार्टी के लिए काम करने की बात समझा रहे हैं। ये नेता कार्यकर्ताओं को समझा रहे हैं कि इस चुनाव में हमें वे सीटें भी जीतनी हैं जिन्हें हम 2017 में हार गए थे।
पार्टी के इन तीनों बड़े नेताओं ने जिलाध्यक्षों से कहा है कि वे बूथ मैनेजमेंट पर ज़्यादा ध्यान दें क्योंकि हालिया पंचायत चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन ख़राब रहा है।
कोरोना काल के दौरान उत्तर प्रदेश में बीजेपी के कई विधायकों, मंत्रियों, सांसदों और यहां तक कि केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने भी नाराज़गी ज़ाहिर की थी। इसे भी पार्टी ने गंभीरता से लिया है और बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से पहले भी हालात को संभालने की कोशिश की जा चुकी है।
स्वतंत्र देव सिंह ने ‘इकनॉमिक टाइम्स’ को बताया कि इन दौरों के जरिये पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता से फ़ीडबैक लिया जा रहा है और हर जिले की समस्याओं को भी समझा जा रहा है जिससे इन्हें संबंधित मंत्री के सामने उठाया जा सके।
किसान आंदोलन के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सांसें फूली हुई हैं और वह लगातार जाट समुदाय के लोगों के बीच में बैठक कर रही है लेकिन कुछ वरिष्ठ नेता ‘इकनॉमिक टाइम्स’ से कहते हैं कि वे पूर्वांचल को लेकर ज़्यादा चिंतित हैं क्योंकि यहां बीजेपी के नेता अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और कुछ अन्य छोटे दलों के साथ बैठकें कर रहे हैं और योगी सरकार की आलोचना भी कर रहे हैं।
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