उत्तर प्रदेश से बीजेपी के सांसद सुब्रत पाठक ने भड़काऊ बयान देते हुए कहा है कि जिनकी मानसिकता भारत के खिलाफ है और जो लोग भारत में शरिया का सपना देख रहे हैं ऐसे लोगों का वोट बीजेपी को नहीं चाहिए और ना ही वे लोग बीजेपी को वोट देने वाले हैं।
विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी के तमाम नेताओं ने इस तरह की भड़काऊ बयानबाजी शुरू कर दी है।
इस महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में जालीदार टोपी वाले लुंगी छाप गुंडे घूमते थे। इससे पहले उन्होंने ‘मथुरा की तैयारी है’ कहकर भी विवादित बयान दिया था।
बीते महीने ही योगी सरकार के मंत्री रघुराज सिंह ने कहा था कि मदरसों से आतंकी निकलते हैं और अगर उन्हें भगवान ने मौका दिया तो वह सारे मदरसों को बंद कर देंगे।
समुदाय विशेष के खिलाफ इस तरह के नफरती बयानों की बाढ़ तब आई है जब हरिद्वार की धर्म संसद में मुसलमानों के नरसंहार की बात को लेकर दुनिया भर में भारत की बदनामी हो रही है।
कन्नौज से सांसद पाठक ने एक जनसभा में कहा कि जो लोग आतंकवाद का समर्थन करते हैं, जो लोग पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते हैं और जो लोग भारत में शरिया का सपना देखते हैं ऐसे लोगों के वोट बीजेपी को नहीं चाहिए।
उन्होंने कहा कि धारा 370 हटाने, राम मंदिर बनाने की वजह से मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देंगे।
निश्चित रूप से बीजेपी सांसद का यह बयान मुसलमानों को देश विरोधी बताने की एक और कोशिश है। बीजेपी के तमाम नेता मुसलमानों के खिलाफ नफरती बयानों की बारिश कर चुके हैं।
चुनावी हार का डर?
यहां सवाल यह है कि बीजेपी के नेता इस तरह के बयान क्यों दे रहे हैं। बीजेपी के तमाम नेताओं ने बीते दिनों मथुरा में मंदिर का मुद्दा भी उठाया है। क्या बीजेपी को ऐसा लगता है कि वह उत्तर प्रदेश में चुनाव हार रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के मौके पर औरंगजेब बनाम शिवाजी की बात करते हैं तो उससे भी यही लगता है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश के चुनाव में हिंदू मतों का ध्रुवीकरण करने की मंशा से ही इस तरह के बयान दे रही है।
इससे यह भी पता चलता है कि बीजेपी को इस बात का कतई भरोसा नहीं है कि वह अपने काम के दम पर चुनाव जीत सकती है और मजबूरी में उसे ध्रुवीकरण कराने वाले बयानों का सहारा लेने को मजबूर होना पड़ा है।
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