बूथ लुटेरी हैं प्रियंका
अभी दो दिन पहले ही बीजेपी के प्रवक्ता डॉ. विजय सोनकर शास्त्री ने भी प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा पर ऐसा ही बयान दिया था। शास्त्री ने वाड्रा को देश का अपराधी बताया था और प्रियंका को लुटेरी कहा था। शास्त्री के मुताबिक़, प्रियंका बूथों को लूटती हैं। यह भाषा है बीजेपी के प्रवक्ता की।
प्रियंका को बताया शूपर्णखा
इसके बाद पढ़िए बीजेपी के एक ‘माननीय’ विधायक सुरेंद्र सिंह का बयान। बलिया से विधायक सुरेंद्र सिंह ने कुछ दिन पहले कहा कि राहुल गाँधी की बहन शूपर्णखा हैं। इन ‘माननीय’ विधायक ने पिछले साल बसपा सुप्रीमो मायावती की तुलना भैंस से कर दी थी।
‘चॉकलेटी’ चेहरा हैं प्रियंका
प्रियंका के राजनीति में आने पर ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कांग्रेस ‘चॉकलेटी’ चेहरों का सहारा लेकर चुनाव लड़ना चाहती है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री गोविंद नारायण झा ने कहा कि ‘सुंदर’ होने के अलावा प्रियंका गाँधी की कोई और उपलब्धि नहीं है। राज्य सरकार में मंत्री जैसे ओहदों पर बैठे लोग ऐसे शर्मनाक बयान दें तो क्या कहा जा सकता है।
राजनीति में तभी आएँ जब 'सुंदर' हों
प्रियंका पर ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय कटियार की भी टिप्पणी पढ़िए। कटियार ने कहा था कि प्रियंका गाँधी उन हीरोइनों से ज़्यादा ‘सुंदर’ नहीं हैं जो बीजेपी की स्टार प्रचारक हैं। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के पास प्रियंका से ज़्यादा ‘सुंदर’ चेहरे हैं। कटियार के बयान के मुताबिक़, महिलाओं को राजनीति में तब ही आना चाहिए जब वे बहुत ज़्यादा सुंदर हों!
सिर्फ़ ब्यूटी कॉन्टेस्ट में ही जाएँ महिलाएँ!
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भी प्रियंका के राजनीति में आने पर कहा था कि राजनीति कोई 'ब्यूटी कॉन्टेस्ट' नहीं है। सुशील मोदी के हिसाब से तो महिलाएँ सिर्फ़ ब्यूटी कॉन्टेस्ट में जाने लायक़ हैं। इस तरह का बयान सुशील मोदी ने क्या सोचकर दिया होगा, यह वही बता सकते हैं।
सिर्फ़ घरेलू महिला हैं प्रियंका
बीजेपी की सांसद हैं सरोज पांडे। कुछ दिन पहले सरोज पांडे ने प्रियंका के राजनीति में आने पर कहा कि वह सिर्फ़ एक घरेलू महिला हैं।
प्रियंका गाँधी के बारे में बीजेपी नेताओं के बयान पढ़कर आप ख़ुद सोचिए कि राजनीति में जब इस तरह के बयान दिए जाएँगे तो कैसे कोई महिला इस क्षेत्र में क़दम रखेगी। उससे भी ज़्यादा अहम सवाल यह है कि महिलाओं के बारे में बीजेपी नेताओं की क्या यही सोच है? क्या बीजेपी का यही चरित्र है और क्या वह अपने नेताओं के इसी चाल, चरित्र और चेहरे पर गर्व करती है?
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