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हाथरस: बीजेपी नेता बोला- लड़की ने लड़के को खेत में बुलाया होगा और पकड़ी गई होगी

हाथरस मामले में एक दलित और ग़रीब परिवार की लड़की के साथ हैवानियत हुई, वह तड़प-तड़प कर मरी। उसकी मां का कहना है कि वह सिर तक नहीं उठा पा रही थी, क्योंकि उसकी गर्दन में चोट थी। लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि लड़की के शरीर में कोई चोट नहीं थी और उसके साथ बलात्कार हुआ, यह तो वह मानने के लिए तैयार ही नहीं है। 

हाथरस की घटना में बीजेपी के कई दलित नेताओं ने पुलिस के रवैये को लेकर नाराजगी जाहिर की। सभी लोग इस घटना से बेहद दुखी हैं और उस लड़की के लिए इंसाफ़ चाहते हैं। इसी बीच, सोशल मीडिया पर हाथरस की पीड़िता को लेकर बीजेपी के एक नेता का वीडियो वायरल हुआ। 

लोगों ने जब गौर से सुना कि यह नेता क्या कह रहा है तो उन्होंने यह माना कि यह इसने अचानक या रौ में आकर नहीं कहा है बल्कि यह इनकी महिलाओं के प्रति वास्तविक सोच है और उसी को इसने खुलकर सामने रखा है। बाद में अपनी सफाई में भी उन्होंने कहा है कि वह हाथरस ‘जैसी’ लड़कियों के लिए ऐसा कह रहे थे। इस नेता ने अपने फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर लिखा है कि उसका नाम ही काफी है। 

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बाराबंकी से आने वाले इस बीजेपी नेता का नाम रंजीत बहादुर श्रीवास्तव है। ये नगर पालिका के चेयरमैन रहे हैं और इनकी पत्नी वर्तमान में चेयरमैन हैं। मतलब कोई छोटे नेता नहीं हैं, ठीक-ठाक प्रोफ़ाइल है। अब पढ़िए, इन्होंने वीडियो में हाथरस पीड़िता और देश की महिलाओं के लिए क्या कहा है। 

श्रीवास्तव कहते हैं, “लड़की ने लड़के को बुलाया होगा बाजरे के खेत में, चूंकि प्रेम प्रसंग था, सब बातें सोशल मीडिया पर भी हैं, चैनलों पर भी आ चुकी हैं। पकड़ ली गई होगी, अक्सर यही होता है खेतों में। ये जितनी लड़कियां इस तरह की मरती हैं, ये कुछ ही जगहों में पाई जाती हैं।” 

श्रीवास्तव आगे कहते हैं, “ये गन्ने के खेत में पाई जाती हैं, अरहर के खेत में, मक्के के खेत में, बाजरे के खेत में, नाले में-झाड़ियों में पाई जाती हैं, जंगल में पाई जाती हैं।”

वह कहते हैं, “ये धान के खेत में मरी क्यों नहीं मिलती हैं, ये गेहूं के खेत में मरी क्यों नहीं मिलती हैं। इनके मरने की जगह वही है और ये कहीं पर घसीट कर नहीं ले जाई जाती हैं, कोई इनको घसीटते ले जाते हुए देखता नहीं है तो आख़िर ये घटनाएं इन्हीं जगह पर क्यों होती हैं, ये पूरे देश स्तर पर जांच का विषय है।” 

बीजेपी नेता अपनी बात पर जोर देते हुए कहते हैं कि उन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं कहा है लेकिन लड़की दोषी नहीं है, लड़के दोषी हैं। 

बीजेपी नेता श्रीवास्तव अपनी घिनौनी बातों को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, “मैं अपने समाज से कहना चाहूंगा कि अब वे दिन न आने दें कि लड़की को पैदा होते ही मार दिया जाए या सती प्रथा दोबारा लानी पड़े।”

अभियुक्तों को दी क्लीन चिट 

उन्होंने हाथरस के अभियुक्तों को क्लीन चिट देते हुए कहा है, “ये लड़के निर्दोष हैं। मान लिया कि अगर वे जांच में निर्दोष पाए गए तो उनके ये जो जवानी के दिन जेल में बीतेंगे, उनकी जो मानसिक प्रताड़ना हो रही है तो उनकी जवानी कौन वापस करेगा, इनको मुआवजा कौन देगा।” 

इनके समर्थक इन्हें कायस्थों की शान बताते हैं। 

BJP leader ranjeet bahadur shrivastava comment on hathras case - Satya Hindi

आगे वह कहते हैं कि मैं योगी जी से निवदेन करना चाहता हूं कि इनको यानी पीड़िता के परिवार को प्रोत्साहन राशि नहीं मिलनी चाहिए। 

ये पढ़ ली, आपने महिलाओं के प्रति बीजेपी नेता की सोच, वीडियो वायरल है, इसलिए सुन भी ज़रूर लीजिए। 

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‘संस्कार न होने की वजह से हो रहे रेप’

अब ऐसा नहीं है कि ये अकेले ऐसे नेता बीजेपी में हैं। दो-तीन पहले बलिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें वह कहते हैं कि - बलात्कार की घटनाएं सिर्फ़ बेटियों को संस्कार देने से ही रूक सकती हैं और शासन और तलवार से नहीं रूक सकतीं। बीजेपी विधायक के कहने का मतलब था कि महिलाओं-युवतियों में संस्कार नहीं हैं, इस वजह से बलात्कार जैसी घटनाएं हो रही हैं। 

इसी तरह, बीजेपी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी अनुपम हाजरा ने कहा कि अगर वह कोरोना संक्रमित हो गए तो ममता बनर्जी को गले लगा लेंगे। इस तरह के बयानों की लंबी फेहरिस्त है। 

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बीजेपी नेता ने दी सफाई

बयान पर बवाल होने के बाद श्रीवास्तव ने सफाई देते हुए कहा है कि उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया है। उनके मुताबिक़, “मैंने सब लड़कियों के लिए यह बयान नहीं दिया है, जो इस तरह की लड़कियां होती हैं, जिसे हाथरस की पीड़िता बताया जा रहा है, इस तरह की लड़कियां जब अकेली जाती हैं तो इन्हें बाजरे के खेत में ही घास मिलती है।” उन्होंने आगे कहा कि समाज सत्य को सुनना ही नहीं चाहता है। 

बीजेपी को अपने इस नेता के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई ज़रूर करनी चाहिए। क्योंकि यह देश की करोड़ों महिलाओं का अपमान है। समाज में सदियों से शोषित दलित समुदाय की महिलाओं की ऐसे नेताओं की नज़रों में क्या हैसियत है, यह भी इनके बयान से पता चलता है।

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क़मर वहीद नक़वी
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