उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर बीजेपी पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है। पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने उत्तर प्रदेश के दौरे शुरू कर दिए हैं और जल्द ही ये नेता पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को चुनावी रणनीति समझाते नज़र आएंगे। उत्तर प्रदेश में फ़रवरी-मार्च में चार अन्य राज्यों के साथ विधानसभा के चुनाव होने हैं।
उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर गुरूवार को दिल्ली में बीजेपी की अहम बैठक हुई। इसमें कई बड़े फ़ैसले लिए गए। यह तय किया गया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिमी और बृज क्षेत्र की जिम्मेदारी संभालेंगे जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पास पूर्वांचल की चुनावी कमान रहेगी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कानपुर और गोरखपुर में कार्यकर्ताओं के बीच चुनावी मैदान संभालेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन कार्यक्रमों व रैलियों के जरिये प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर चुनावी अभियान शुरू कर चुके हैं। मोदी ने बीते दिनों में सुल्तानपुर, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर और वाराणसी का दौरा कर पूर्वांचल में जनता के बीच पहुंच बढ़ाई है। आने वाले दिनों में मोदी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी कार्यक्रम करेंगे।
इन नेताओं के अलावा प्रभारियों से लेकर सह प्रभारी और तमाम नेता उत्तर प्रदेश की गलियों में घूमकर पार्टी के लिए वोट जुटाने के काम में जुटेंगे।
दिल्ली में हुई बीजेपी की बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र सरकार के मंत्री भी मौजूद रहे। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी चुनावी कार्यक्रमों को लेकर भी रणनीति तैयार की गई।
बीजेपी ने बीते दिनों में दलित, ओबीसी मतदाताओं के साथ ही व्यापारियों के बीच में भी सम्मेलन किए हैं। पार्टी प्रबुद्ध वर्ग के सम्मेलन भी कर चुकी है।
बूथ स्तर तक पहुंचेंगे नेता
बीजेपी के तमाम आला नेता बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ भी संवाद करेंगे। राजनाथ सिंह 25 नवंबर को सीतापुर और जौनपुर में होने वाली बूथ अध्यक्षों की बैठक में शामिल होंगे। जेपी नड्डा 22 को गोरखपुर में जबकि 23 नवंबर को कानपुर में बूथ अध्यक्षों की बैठक लेंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बृज में अमित शाह की बूथ अध्यक्षों के साथ बैठक के कार्यक्रम को पार्टी फ़ाइनल कर रही है।
बूथ कार्यकर्ताओं के साथ आला नेताओं की बैठक होने का मतलब है कि पार्टी ग्रासरूट लेवल के कार्यकर्ताओं तक पहुंचना चाहती है क्योंकि राजनीति में ‘बूथ जीतो-चुनाव जीतो’ का मंत्र बेहद असरदार है।
कृषि क़ानून पर पीछे हटी सरकार
चुनाव जीतने के लिए पूरी ताक़त झोंक रही बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती किसान आंदोलन के रूप में सामने आई। लेकिन अब जब मोदी सरकार ने कृषि क़ानून वापस लेने का एलान कर दिया है तो माना जाना चाहिए कि पार्टी को कुछ राहत ज़रूर मिलेगी। किसान आंदोलन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जबरदस्त असर दिखा। यह भी सही है कि सियासी नुक़सान के डर से सरकार को कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर पीछे हटना पड़ा।शाह की बड़ी भूमिका
तमाम आला नेता तो पार्टी के लिए चुनाव प्रचार में जुटेंगे ही लेकिन बीजेपी के चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह की बड़ी भूमिका इस चुनाव में रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि शाह ने ही बीजेपी को 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जोरदार जीत दिलाई थी और विपक्षी दलों का लगभग सूपड़ा साफ़ कर दिया था। तब अमित शाह पार्टी के महासचिव होने के साथ ही उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी थे।
शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए ही बीजेपी की 2017 के चुनाव में सत्ता में धमाकेदार वापसी हुई थी। शाह ने कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश में मेगा सदस्यता अभियान की शुरुआत की थी।
चेहरे को लेकर घमासान
चुनाव में पार्टी का चेहरा कौन होगा, इसे लेकर कार्यकर्ताओं के बीच घमासान वाले हालात हैं। अमित शाह योगी आदित्यनाथ के पीछे पूरी ताक़त के साथ खड़े हैं। जबकि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अब मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और कह चुके हैं कि बीजेपी कमल के फूल के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी।
एबीपी न्यूज़-सी वोटर का हालिया सर्वे इस बात को बताता है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी लड़ाई है और यह लड़ाई बेहद जोरदार हो सकती है।
पूर्व मुख्यमंत्री और एसपी मुखिया अखिलेश यादव की ‘समाजवादी विजय यात्रा’ में बड़ी संख्या में लोग जुटे हैं। बीएसपी प्रमुख मायावती ब्राह्मण सम्मेलन करा चुकी हैं और कांग्रेस भी प्रियंका गांधी की अगुवाई में महिला मतदाताओं पर फ़ोकस करते हुए आगे बढ़ रही है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ‘सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा’ निकालकर और एआईएमआईएम के सदर असदउद्दीन ओवैसी जनसभाओं के जरिये चुनावी माहौल बना रहे हैं।
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