उत्तर प्रदेश में इन दिनों नए तरह का काम हो रहा है। कहीं पुलिस किसी अंतर धार्मिक शादी के बीच में पहुंचकर उसे रुकवा रही है तो कहीं दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल अंतर धार्मिक शादी करने वालों को धमका रहा है। इसमें आड़ ली जा रही है हाल ही में बनाए गए 'उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2020' की।
ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का है। यहां एक मुसलिम युवक को पुलिस ने इसलिए गिरफ़्तार कर लिया है क्योंकि उसकी शादी एक हिंदू लड़की से हो चुकी थी। मुसलिम युवक के भाई को भी गिरफ़्तार किया गया है। यह गिरफ़्तारी मुरादाबाद के कांठ इलाक़े में हुई है।
जब हिंदू युवती अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए रजिस्ट्रेशन दफ़्तर पहुंची तो बजरंग दल के कुछ लोग वहां पहुंच गए और उन लोगों को पुलिस के हवाले कर दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
वायरल वीडियो में लड़की कहती है कि वह बिजनौर के डारानगर गंज की रहने वाली है और उसकी शादी कांठ के रहने वाले राशिद के साथ हुई है। वह बताती है कि उसकी शादी को 5 महीने हो चुके हैं और उसने अपनी मर्जी से शादी की है। वह यह भी कहती है कि वह बालिग है और उसकी शादी देहरादून में हुई है।
इसके बाद कांठ के पुलिस थाने में बजरंग दल के कार्यकर्ता लड़की से पूछते हैं कि वह धर्मांतरण के लिए ज़रूरी डीएम साहब की अनुमति दिखाए। लड़की फिर कहती है कि उसने शादी अपनी मर्जी से की है। बजरंग दल के कार्यकर्ता कहते हैं कि क्या उसे पता है कि नए क़ानून के मुताबिक़ धर्मांतरण के लिए डीएम साहब से अनुमति लेनी ज़रूरी होती है और क्या उसने यह क़ानून पढ़ा है या नहीं। एक कार्यकर्ता कहता है कि यह क़ानून उसके जैसों के लिए ही बनाना पड़ा है।
पुलिस का कहना है कि इस मामले में लड़की की मां की ओर से शिकायत दी गई थी। मां ने यह दावा किया था कि मुसलिम युवक ने उसकी बेटी को शादी और धर्म परिवर्तन करने के लिए बरगलाया। पुलिस ने कहा कि मामले की गहराई से पड़ताल की जाएगी।
लखनऊ में रुकवाई शादी
कुछ दिन पहले पुलिस ने लखनऊ में बीच में ही जिस अंतर धार्मिक शादी को रुकवा दिया था, उसमें पुलिस दोनों पक्षों को पुलिस स्टेशन ले गई थी। यहां भी पुलिस ने कहा था कि वे लखनऊ के डीएम द्वारा दी गई अनुमति को दिखाएं। क्योंकि योगी सरकार के नए क़ानून में कहा गया है कि ऐसी शादी के बाद धर्मांतरण के लिए दो महीने पहले डीएम को जानकारी देनी होगी।
इस मामले में दोनों पक्षों ने पुलिस को लिखित में सहमति दी कि वे इसके बारे में डीएम को जानकारी देंगे और शादी के लिए आगे बढ़ने से पहले उनकी अनुमति लेंगे। जबकि ख़बरों में कहा गया है कि लड़की और लड़के के परिवारों की सहमति से यह शादी हो रही थी और इसमें किसी भी तरह का दबाव या जबरदस्ती नहीं थी। इसके अलावा इसमें लड़की या लड़के के धर्म बदले जैसे जाने जैसी भी कोई बात नहीं थी।
योगी सरकार के क़ानून को लेकर देखिए वीडियो-
क्या है क़ानून में?
योगी सरकार के क़ानून के मुताबिक़ अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के साथ छल, कपट या बल से धर्म परिवर्तन के मामलों में 3 साल से 10 साल तक की सजा है और 25 हजार जुर्माना है जबकि आम मामलों में 1-5 साल की सज़ा और 15 हजार के जुर्माने का प्रावधान है। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल तक की सज़ा हो सकती है। इसके अलावा जबरन सामूहिक धर्मांतरण के मामले में भी 10 साल की सज़ा का प्रावधान है।
अदालतों में टिकना मुश्किल?
क़ानून के जानकारों का कहना है कि योगी सरकार के इस क़ानून का अदालत में टिकना बेहद मुश्किल है। इलाहाबाद और कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी अपने हालिया फ़ैसलों में कहा है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का मौलिक अधिकार है और महज अलग-अलग धर्म या जाति का होने की वजह से किसी को साथ रहने या शादी करने से नहीं रोका जा सकता है।
भले ही बीजेपी और योगी सरकार इस क़ानून को बड़े राजनीतिक मास्टर स्ट्रोक के रूप में पेश कर रही हों लेकिन यह तय है कि बीजेपी शासित राज्य सरकारें अदालतों के फ़ैसलों को जान-बूझकर नज़रअंदाज कर रही हैं।
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