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राम गोपाल मिश्रा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर मीडिया की बेशर्मी, बहराइच पुलिस ने चेताया

क्या यूपी के बहराइच में दंगे के दौरान मारे गए राम गोपाल मिश्रा को लेकर मुख्यधारा मीडिया ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए कथित तौर पर फ़ेक पोस्टमार्टम रिपोर्ट फैलाई? आख़िर उन्होंने किस पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा किया कि राम गोपाल मिश्रा की करंट लगाने, तलवार से मारने, नाखून उखाड़ने जैसी क्रूरता से हत्या की गई? क्या इन मीडिया ने मनगढ़ंत पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देकर जानबूझकर ऐसा किया ताकि माहौल ख़राब हो और सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़े? ये सवाल इसलिए कि खुद बहराइच पुलिस ने ही इसको लेकर चेतावनी दी है।

मुख्यधारा के मीडिया में भ्रामक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही बहराइच पुलिस ने आधिकारिक तौर पर बयान जारी कर मीडिया रिपोर्टों पर चेतावनी दी। पुलिस ने कहा है, 'बहराइच के हरदी थाना के महराजगंज कस्बे में घटित घटना में एक हिंदू व्यक्ति की हत्या को लेकर मीडिया में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के उद्देश्य से भ्रामक सूचना जैसे मृतक को करंट लगाना, तलवार से मारना एवं नाखून उखाड़ना आदि बातें फैलाई जा रही हैं। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।'

पुलिस ने आगे कहा है कि पोस्टमार्टम में गोली लगने से मौत होना पाया गया है। इसने यह भी कहा है कि एक ही व्यक्ति की मौत हुई है। पुलिस आगे कहा है, 'सभी से अनुरोध है कि सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए अफवाहों पर ध्यान न दें और भ्रामक सूचनाओं को न फैलाएँ।'

बहराइच में 13 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान गोली लगने से 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की मौत सदमे और अत्यधिक ख़ून बहने के कारण हुई। बहराइच के मुख्य चिकित्सा अधिकारी यानी सीएमओ डॉ. संजय कुमार ने यह जानकारी पोस्टमॉर्टम जांच के बाद दी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मृतक के शरीर पर '25 से 30 छर्रे' पाए गए हैं। इस पर चोट के निशान भी हैं। डॉ. कुमार ने कहा, 'रिपोर्ट में पता चला है कि बाईं आंख के आसपास और पैर के नाखूनों पर गंभीर चोट के निशान थे।' उन्होंने वीडियो बयान में भी कहा कि नाखून नोचने जैसी कोई घटना नहीं हुई।

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर इस तरह की आधिकारिक रिपोर्ट आई, लेकिन मुख्यधारा के मीडिया में दावा कुछ और किया गया। इन रिपोर्टों में दावा किया गया कि मृतक को करंट लगाया गया, तलवार से मारा गया, नाखून तक उखाड़ लिए गए, तरह-तरह की प्रताड़ना दी गई। अब सोशल मीडिया पर इन मुख्यधारा के मीडिया से लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या इन मीडिया रिपोर्ट ने फेक पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की? क्या मीडिया रिपोर्ट पेश करने से पहले पुलिस या सीएमओ से पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर कंफर्म नहीं किया गया? निगर परवीन नाम की यूजर ने आरोप लगाया है कि ये मीडिया नफ़रत फैला रहे हैं। 
डॉ. लक्ष्मण यादव ने लिखा है, 'बहराइच में दंगे के शिकार हुए शख़्स की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर झूठी हिंसक अफ़वाहें फैलाई गईं। बहराइच पुलिस ने इसे नकारा। मगर क्या किसी नफ़रती ने माफ़ी माँगी? क्या ये बताया कि उन्होंने झूठ बोला, फ़ेक न्यूज़ फैलाई? किसी पर कोई कार्रवाई हुई? ये है भयावह दंगाई सियासत की हक़ीक़त।'
सुबोध यादव नाम के यूज़र ने लिखा है, 'रामगोपाल मिश्रा के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर तमाम न्यूज चैनलों, अखबार और आईटी सेल द्वारा झूठ फैलाए गए। तब बहराइच पुलिस चुप रहा। झूठ ने जब सारी दुनिया की यात्रा कंप्लीट कर ली तब बहराइच पुलिस द्वारा इसका खंडन किया गया तथा चेतावनी जारी की। यही दंगाई राजनीति की हकीकत है।'
एक यूज़र ने लिखा है, 'बहराइच पुलिस ने साफ कर दिया है कि राम गोपाल मिश्रा की मौत गोली लगने से हुई है! करंट लगाना, नाखून उखाड़ना, तलवार से मारना जैसी सूचनाएं भ्रामक हैं!' 

बता दें कि दंगे की घटनाओं के बाद दर्ज 11 अलग-अलग मुक़दमों में अब तक 55 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने बुधवार को हत्याकांड में नामजद छह आरोपियों में से एक दानिश उर्फ ​​शहीर खान को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार, इस मामले में मृतक के परिवार की ओर से छह नामजद और चार अज्ञात लोगों के खिलाफ रविवार रात हरदी थाने में पहला मामला दर्ज किया गया। 

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इसके अलावा, अस्पताल में कथित रूप से तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ कोतवाली नगर में मामला दर्ज किया गया है, दोनों समुदायों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ तोड़फोड़ और आगजनी के आरोप में नौ मामले दर्ज किए गए हैं। कुल 11 मामलों में से 13 और 14 अक्टूबर को दो-दो मामले और 15 अक्टूबर को सात मामले दर्ज किए गए। इनमें से चार मामले पुलिस ने और सात मामले जनता की ओर से दर्ज किए गए हैं। उपद्रवग्रस्त महराजगंज में लगातार तीसरे दिन भी मोबाइल इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाएं बंद रहीं, जिससे दैनिक जीवन और कारोबार प्रभावित हुआ। 
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क़मर वहीद नक़वी
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