रामपुर की लोकल कोर्ट ने आज गुरुवार शाम को सुनाए गए फैसले में आजम खान को नफरती भाषण की वजह से सुनाई गई सजा के खिलाफ स्टे देने से इनकार कर दिया। यानी इस आदेश का मतलब है कि उनकी विधायकी बहाल नहीं हो पाई। इस तरह यूपी विधानसभा स्पीकर ने उनकी विधानसभा सीट रामपुर को रिक्त घोषित किया, वो बरकरार है।
नफरती भाषण पर पूर्व मंत्री आजम खान को तीन साल की सजा हुई थी। सजा सुनाने के कुछ घंटे के अंदर ही उनकी विधानसभा से सदस्यता खत्म कर दी गई और आनन-फानन में रामपुर सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया। इसके बाद चुनाव आयोग ने रामपुर में 5 दिसंबर को उपचुनाव भी घोषित कर दिया। उसकी अधिसूचना आज 10 नवंबर को जारी होना थी। हालांकि ऐसे ही मामले में खतौली के बीजेपी विधायक की विधानसभा सदस्यता खत्म करने में विधानसभा स्पीकर ने काफी समय लगा दिया। वैसे उनकी विधानसभा सदस्यता भी अब खत्म हो गई है। चुनाव आयोग ने रामपुर, मैनपुरी और खतौली में उपचुनाव की घोषणा कर दी है।
आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को उठाया कि आखिर उनके मामले में ऐसी क्या जल्दी थी कि उन्हें अपील का भी मौका नहीं दिया गया। आजम खान की ओर से उनके एडवोकेट पी. चिदंबरम ने इस मामले को रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कल बुधवार को इस पर आदेश दिया कि रामपुर की स्थानीय कोर्ट गुरुवार को इस पर सुनवाई करे और उसी दिन आदेश पास करे। रामपुर कोर्ट ने गुरुवार को उस पर सुनवाई की और आदेश को शाम 4 बजे तक सुरक्षित रखा। लोकल कोर्ट ने करीब 5 बजे फैसला सुनाते हुए स्टे देने से मना कर दिया।
आजम खान को 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य पर टिप्पणियों के आरोप में दोषी ठहराया गया था। रामपुर की एक अदालत ने नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में पिछले महीने आजम ख़ान को तीन साल कैद और 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। उनकी सजा के बाद यूपी विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय ने उनकी अयोग्यता और रामपुर सदर सीट के खाली होने की घोषणा की। इसको आज़म ख़ान ने चुनौती दी थी।
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