मदरसों को लेकर यूपी सरकार समय-समय पर खुद ही एलर्ट की मुद्रा में आ जाती है। हाल ही में उसने सरकारी ग्रांट से चलने वाले नए मदरसों की जांच का आदेश दिया था। अब उसने नए मदरसों को ग्रांट देना बंद करने का फैसला किया है। इस संबंध में 17 मई को योगी कैबिनेट के सामने प्रस्ताव आया और उसे फौरन स्वीकार कर लिया गया। यह प्रस्ताव किसकी तरफ से आया...आप हैरान होंगे...यह प्रस्ताव उस शख्स दानिश आजाद अंसारी की तरफ से आया, जिसे मुस्लिम कोटे के नाम पर योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
दानिश अंसारी की भूमिका
शासन ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना के चलने वाले मदरसों की जांच के लिए आदेश दिया था। सरकार ने भवन, भूमि, किरायानामा, शिक्षकों, छात्रों आदि की मौके पर जांच के लिए कमेटी बनाने को कहा था। इस संबंध में रजिस्ट्रार मदरसा शिक्षा परिषद ने समस्त जिलाधिकारियों को पत्र भेजा था। समझा जाता है कि जांच के बाद जो रिपोर्ट आई उसी के बाद ग्रांट रोकने का फैसला लिया गया। यह आरोप काफी समय से लग रहा है कि बहुत सारे मदरसे अस्तित्व में नहीं हैं लेकिन सरकार से उनके नाम पर ग्रांट ली जा रही है। बहुत सारे मदरसों में फर्जी छात्र-छात्राएं दिखाकर, उनकी फर्जी परीक्षा तक कराने के आरोप लगे हैं। उसका उपाय योगी सरकार ने यह निकाला कि मदरसों की ग्रांट ही रोक दी।
क्या था आदेश का मकसद
यूपी के आधुनिकीकरण वाले मदरसों में 8129 पद टीचरों के हैं। इनमें से 6455 टीचर अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल, साइंस जैसे विषयों को पढ़ाने वाले हैं। इनके अलावा दीनी तालीम (धार्मिक शिक्षा) वाले 5339 टीचर हैं। राज्य सरकार की नजर इन्हीं दीनी तालीम वाले टीचरों पर है। यूपी शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब मदरसों में आधुनिक विषय पढ़ाए जा रहे हैं तो वहां दीनी तालीम वाले टीचरों की क्या जरूरत है।
यूपी में करीब 588 मदरसे ऐसे हैं जिनमें 8129 टीचर और 558 प्रिंसिपल हैं। इन पर सरकार हर साल 866 करोड़ रुपये खर्च करती है। लेकिन सरकार के पास इस बात की रिपोर्ट है कि मदरसों में बच्चों की तादाद लगातार घट रही है। सरकार के पास इसकी सूचना है कि चूंकि मदरसों में आधुनिक विषय नहीं पढ़ाए जा रहे हैं तो वहां के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में कामयाब नहीं हो पाते। इसलिए योगी सरकार चाहती है कि मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव किए जाएं।
मदरसों का धंधा
राज्य सरकार के पास सूचना है कि तमाम जगहों पर मदरसों के नाम पर धंधा हो रहा है। कई संगठनों के तीस-चालीस मदरसे चल रहे हैं। लखनऊ में ही ऐसे मदरसों की चेन है, जहां शिक्षकों को आधी सैलरी मिलती है जबकि उनसे पूरी सैलरी पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं। ऐसे टीचरों से पहले ही इस्तीफे लेकर रख लिए गए हैं, ताकि वे अगर विरोध करें तो फौरन उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए।
आमतौर पर पहली क्लास से लेकर पांचवी क्लास तक के मदरसों में पांच टीचर दीनी तालीम वाले होते हैं। छठी क्लास से लेकर आठवीं तक के मदरसों में दो दीनी तालीम वाले हैं और एक सामान्य विषयों के लिए। लेकिन आलिया क्लास (9वीं और 10वीं) में तीन टीचर दीनी तालीम और एक टीचर सामान्य विषयों के लिए होते हैं। इस तरह छठी क्लास से लेकर आलिया क्लास तक अन्य विषय पढ़ाने वाले टीचर कम और दीनी वाले ज्यादा हैं। सरकार इसमें बदलाव करना चाहती है। इससे टीचरों का शोषण भी रुकेगा।
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