देश के गृह मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह ने कहा है कि बीएसपी अभी भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा है कि बीएसपी को यूपी में वोट मिलेंगे और वोट देने वालों में सिर्फ़ जाटव ही नहीं हैं, बल्कि कई सीटों पर मुसलिम भी मायावती की पार्टी को वोट देंगे।
अमित शाह का यह बयान तब आया है जब राज्य में तीसरे चरण का मतदान और चौथे चरण का चुनाव प्रचार भी ख़त्म हो गया है। राज्य में चुनाव से पहले तक तो विरोधियों की ओर से यह सवाल उठाया जा रहा था कि बीएसपी क्या बीजेपी की टीम बी है। राजनीतिक पर्यवेक्षक भी चुनाव में बीजेपी को बीएसपी से फायदा पहुँचने के कयास लगाते रहे हैं। हालाँकि, चुनाव में बीएसपी और बीजेपी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं।
हालाँकि इसी बीच अब अमित शाह का यह बयान आया है। उन्होंने न्यूज़ 18 टीवी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में कहा, 'जाटव वोट बसपा के पास रहे और मुसलिम भी कई सीटों पर बसपा को वोट देंगे।' यह पूछे जाने पर कि क्या इससे बीजेपी को मदद मिलेगी, शाह ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि इससे बीजेपी को फायदा होगा या नुक़सान। यह सीट पर निर्भर करता है...। लेकिन यह सच नहीं है कि मायावती की प्रासंगिकता ख़त्म हो गई है।'
मायावती के लो प्रोफाइल रहने के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि उनका जनाधार पूरी तरह से ख़त्म हो गया है।
अमित शाह का बयान इसलिए भी काफ़ी अहम है कि इस चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी को अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से कड़ी चुनौती मिल रही है। राजनीतिक विश्लेषक इन दोनों दलों के बीच ही मुख्य मुक़ाबला बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस बार मुसलिम समाजवादी पार्टी को वोट देंगे। इस बार अखिलेश यादव के सोशल इंजीनियरिंग करने के कारण दूसरी जातियों के मतदाताओं से भी सपा को वोट मिलने के आसार हैं।
अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान से खुद को अलग रखना पसंद किया जिसमें योगी ने कहा था कि विधानसभा चुनाव 80 बनाम 20 की लड़ाई है। यह हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक विभाजन को दर्शाता है।
अमित शाह ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि यह चुनाव मुसलमानों या यादवों या हिंदुओं के बारे में है। योगी जी ने वोट प्रतिशत की बात की होगी, मुसलमानों बनाम हिंदुओं के बारे में नहीं।' बता दें कि योगी के बयान से विवाद हुआ था क्योंकि इसे सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के प्रयास के रूप में देखा गया था।
उन्होंने कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध के विवाद पर भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के लोगों को स्कूल के ड्रेस कोड को स्वीकार करना चाहिए। हालाँकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी अदालत के फ़ैसले का पालन करेंगे।
गृह मंत्री का यह बयान तब आया है जब इस मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मुसलिम छात्राओं ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंधों को चुनौती दी है। छात्राओं ने 5 फ़रवरी को कर्नाटक सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि इसने संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन किया है। छात्राओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने सवाल किया था, 'वह क़ानून कहाँ है जिसके आधार पर हिजाब प्रतिबंधित है'।
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