एसपी के मुखिया अखिलेश यादव भी गुरूवार को लखीमपुर पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मिले। अखिलेश लखीमपुर में मारे गए किसान लवप्रीत सिंह के परिजनों के अलावा पत्रकार रमन कश्यप के घर वालों से भी मिले और उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि सरकार दोषियों को जल्द गिरफ़्तार कर पीड़ितों को इंसाफ़ दे। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना की जांच रिटायर्ड नहीं सिटिंग जज की मॉनिटरिंग में हो।
अखिलेश ने कुछ दिन पहले भी लखीमपुर खीरी जाने की कोशिश की थी लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया था। इसके बाद अखिलेश लखनऊ में ही धरने पर बैठ गए थे। तब उनके आवास के बाहर सपाइयों का जमावड़ा लग गया था।
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मामले में खासी सक्रियता दिखाई और सबसे पहले लखीमपुर खीरी तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें 3 दिन तक रोके रखा।
पीछे नहीं रहना चाहती एसपी
लेकिन एसपी भी इस मामले में कांग्रेस से पीछे नहीं रहना चाहती। पार्टी के कार्यकर्ता मारे गए किसानों को इंसाफ़ देने की मांग को लेकर लगातार सड़क पर उतर रहे हैं। अखिलेश यादव बुधवार को लखीमपुर खीरी के नज़दीक पड़ने वाले इलाक़े शाहजहांपुर पहुंचे थे। बुधवार को राज्य सरकार की ओर से लखीमपुर जाने की अनुमति मिलने के बाद उन्होंने सीधे यहां का रूख़ किया।
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‘लखीमपुर हत्याकांड’ में नये वीडियो साक्ष्यों के बावजूद भी बीजेपी सरकार को कुछ नज़र नहीं आ रहा है। बीजेपी सरकार में दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की ये निष्क्रियता स्वयं में आपराधिक है।
अखिलेश यादव, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश।
दबाव में है बीजेपी
किसान आंदोलन के कारण योगी सरकार और बीजेपी जबरदस्त दबाव में हैं और ऐसे में विपक्ष अगर एकजुट होकर लड़ा तो सत्ता में वापसी कर सकता है। एसपी, कांग्रेस सहित बाक़ी दलों ने लखीमपुर खीरी की घटना में जिस तरह बीजेपी को घेरा है और किसानों को रौंदे जाने के वीडियो सामने आने के बाद बीजेपी जितनी बुरी तरह फंसी है, इससे चुनाव से ठीक पहले उसके सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गयी है।
आम लोग भी यही सवाल पूछ रहे हैं कि इतनी बड़ी घटना, जिसमें शांतिपूर्ण ढंग से जा रहे किसानों को रौंद दिया गया हो, उसमें कार्रवाई करने में आख़िर केंद्र व योगी सरकार हिचक क्यों कर रही हैं।
अब तक नहीं हुई गिरफ़्तारी
लखीमपुर खीरी की घटना में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कार से कथित रूप से किसानों को रौंद दिया। इस घटना में 8 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 4 किसान भी शामिल हैं। इसे लेकर मिश्रा के ख़िलाफ़ हत्या की एफ़आईआर भी दर्ज हो चुकी है लेकिन उनकी गिरफ़्तारी अब तक नहीं हो पाई है।
लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कई जगहों पर किसानों के साथ ही विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 5 महीने के अंदर चुनाव होने हैं। चुनाव से कुछ महीने पहले जिस तरह विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाया है, उससे निपट पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा।
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