हाथरस गैंगरेप मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार चाहे जो कहे, पर केंद्र सरकार साफ तौर पर दबाव में है। इसे इससे समझा जा सकता है कि उसने महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों से जुड़ा दिशा-निर्देश एक बार फिर जारी किया है और राज्य सरकारों को सख़्त हिदायत दी है कि वे इसे हर हाल में लागू करें। यह एडवाइज़री के रूप में जारी किया गया है।
याद दिला दें कि हाथरस में 14 सितंबर को एक दलित युवती के साथ कथित तौर पर बलात्कार और उसके बाद हत्या के बाद इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक तू़फान खड़ा हो गया। पुलिस ने रात के ढ़ाई बजे परिजनों की इच्छा के ख़िलाफ़ उसका शव जला दिया। पुलिस ने बलात्कार से इनकार कर दिया है। पुलिस इसकी भी जाँच कर रही है कि क्या युवती का किसी सवर्ण युवक के साथ प्रेम संबंध था और इस वजह से परिजनों ने ही उसकी हत्या कर दी है। इस तरह मामला एकदम उलट गया है। इसके लिहाज से केंद्र सरकार का यह दिशा निर्देश बेहद अहम है।
60 दिनों में चार्ज शीट
यह दिशा निर्देश महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहले से जारी केंद्र के दिशा- निर्देशों का पालन नहीं किया है। अब बीजेपी की ही केंद्र सरकार ने एक बार फिर कहा है कि वह महिलाओं पर होने वाले अपराधों के मामले में दिशा निर्देशों को हर हाल में लागू करें, यौन अपराधों के मामलों में जाँच प्रक्रिया की निगरानी रखें, उसका फॉलो अप करें और 60 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करें। दो-पन्नों के इस दिशा-निर्देश में गृह मंत्रालय ने दंड प्रक्रिया संहिता का हवाला देते 'एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण', बलात्कार के मामले में 60 दिनों के भीतर अनिवार्य जाँच और बलात्कार व यौन उत्पीड़न के मामले में 24 घंटे के भीतर एक योग्य पेशेवर चिकित्सा द्वारा अनिवार्य चिकित्सीय परीक्षण पीड़ित की सहमति से कराने के निर्देश दिए गए हैं।
'कार्रवाई हो'
इस केंद्रीय दिशा निर्देश में कहा गया है, 'यह अनुरोध किया जाता है कि राज्य- संघशासित क्षेत्र, क़ानून में प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधितों को निर्देश जारी किए जाएं। फॉलो अप के लिए आईटीएसएसओ (यौन अपराध केमामलों को ट्रैक करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल) पर मामलों की निगरानी करने और उस संबंध में उपयुक्त कार्यवाही सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया जाता है।' केंद्र ने इन नियमों का पालन नहीं करने वालों के ख़िलाफ 'कड़ी कार्रवाई' की चेतावनी भी दी है।
राज्य का हलफ़नामा
दिशा- निर्देश जारी होने के पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया था। राज्य सरकार ने इसमें कहा है कि वह शीर्ष अदालत की निगरानी में इस मामले की सीबीआई जांच चाहती है। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि कुछ लोग अपने स्वार्थों के कारण इस मामले की जांच में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि हाथरस का मामला भयावह और हैरान करने वाला है। अदालत इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें इसकी जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की गई थी।
कुछ दिन पहले ही योगी सरकार ने मामले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की थी और किरकिरी से बचने के लिए हाथरस के एसपी, डीएसपी और कुछ पुलिस अफ़सरों को निलंबित कर दिया था।
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