ग़ाज़ियाबाद के लोनी में अब्दुल समद सैफ़ी नाम के बुजुर्ग शख़्स के साथ हुई मारपीट के मामले में ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया के मैनेजिंग एडिटर मनीष माहेश्वरी को भी नोटिस भेज दिया है। नोटिस भेजने का कारण सांप्रदायिक अशांति को भड़काना बताया गया है। एएनआई के मुताबिक़, माहेश्वरी से कहा गया है कि वे सात दिन के अंदर लोनी बॉर्डर के थाने में सात दिन के अंदर आएं और अपना बयान दर्ज कराएं। इस मामले में फ़िल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर के ख़िलाफ़ भी शिकायत दर्ज कराई गई है।
कुछ दिन पहले ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने ट्विटर के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की थी। केंद्र सरकार के नए डिजिटल नियमों को न मानने को लेकर ट्विटर को जैसे ही आईटी एक्ट, 2000 में धारा 79 के तहत मिली छूट ख़त्म हुई, उस पर पहला मुक़दमा दर्ज हो गया था।
इसके अलावा पत्रकारों मोहम्मद ज़ुबैर और राणा अय्यूब और कांग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की गई है। बुजुर्ग संग मारपीट की यह घटना 5 जून की है और इसका वीडियो कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। बुजुर्ग का कहना था कि अभियुक्तों ने उनसे जय सिया राम के नारे लगवाए और दाढ़ी काट दी थी।
कांग्रेस नेताओं में सलमान निज़ामी, शमा मोहम्मद और मसकूर उस्मानी का नाम शामिल है जबकि लेखिका और पत्रकार सबा नक़वी, मीडिया पोर्टल द वायर के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने यह एफ़आईआर दंगा भड़काने, नफ़रत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को जबरन भड़काने व अन्य धाराओं के तहत दर्ज की थी। यह एफ़आईआर मंगलवार रात को दर्ज की गई थी।
पुलिस-परिजनों के तर्क
ग़ाज़ियाबाद पुलिस का कहना है कि अब्दुल समद ताबीज़ बनाने का काम करते हैं और मारपीट के मुख्य अभियुक्त और बाक़ी लोगों ने उनसे ताबीज़ बनवाया था। लेकिन इस ताबीज़ से उनके परिवार पर उलटा असर हुआ और ग़ुस्से में उन्होंने बुजुर्ग से मारपीट कर दी।
जबकि परिजन इसे सिरे से नकारते हैं। बुजुर्ग के बेटे बब्बू सैफ़ी ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया (टीओआई) के साथ बातचीत में कहा कि पुलिस की बात पूरी तरह झूठ है और वह एक फर्जी कहानी गढ़ रही है। बब्बू ने कहा, “पुलिस की पूरी कहानी मनगढ़ंत है। हमारा जादू या ताबीज़ के काम से कोई लेना-देना नहीं है। हम लोग सैफ़ी हैं और कई पीढ़ियों से बढ़ई का काम करते आ रहे हैं।”
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