दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस को धूल चटा चुकी आम आदमी पार्टी ने एलान किया है कि वह फरवरी 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को पूरी ताक़त के साथ लड़ेगी। इसकी घोषणा पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को की।
एएनआई के जरिये जारी संदेश में केजरीवाल ने कहा कि पिछले 8 सालों में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में तीन बार सरकार बनाई है और पंजाब में हम मुख्य विपक्षी दल बने हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में तीसरी जीत के बाद दिल्ली में रहने वाले यूपी के लोग और यूपी से आकर भी लोग वहां चुनाव लड़ने की अपील कर रहे हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी में हर दल की सरकार आई लेकिन इनके नेताओं ने सिर्फ़ अपने घर को भरने के अलावा कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि यूपी के लोगों को इलाज, बेहतर शिक्षा के लिए दिल्ली क्यों आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यूपी के सरकारी अस्पताल, स्कूल इतने बदहाल क्यों हैं।
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी को इसलिए जीत मिली है क्योंकि हमने काम करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि यूपी की गंदी राजनीति और भ्रष्ट नेताओं की वजह से राज्य का विकास रुक गया है। पार्टी संयोजक ने कहा कि यूपी के लोग आम आदमी पार्टी को एक मौक़ा दें, वे बाक़ी सारी पार्टियों को उसी तरह भूल जाएंगे, जिस तरह दिल्ली में लोग भूल गए हैं।
संजय सिंह की सक्रियता
आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा सांसद संजय सिंह को राज्य का प्रभारी बनाया है। संजय सिंह योगी सरकार के ख़िलाफ़ लगातार आवाज़ उठा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में उनकी सक्रियता बाक़ी नेताओं से ज़्यादा रही है। इसी से परेशान होकर योगी सरकार ने उनके ख़िलाफ़ कई मुक़दमे भी दर्ज कर दिए थे। माना जा रहा है कि संजय सिंह ही उत्तर प्रदेश में पार्टी के चेहरे होंगे।
केजरीवाल के एलान करने के तुरंत बाद ही उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इसका जोरदार स्वागत किया और ट्विटर पर #UPMeinBhiKejriwal ट्रेंड करा दिया।
‘छोटे दलों के साथ मिलकर लड़ेंगे’
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी सोमवार को कहा है कि उनकी पार्टी राज्य में छोटे दलों के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी। इसमें उनके चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) भी शामिल होगी, ऐसा माना जा रहा है। समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय लोकदल के साथ पहले से ही गठबंधन है। ये भी हो सकता है कि आम आदमी पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ चली जाए।
अखिलेश यादव के इस बयान के बाद हो सकता है कि कांग्रेस को चुनाव मैदान में अकेले उतरना होगा। 2017 में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन यह प्रयोग बुरी तरह फ़ेल रहा था। कांग्रेस की तरह बहुजन समाज पार्टी को भी जोड़ीदार मिलना मुश्किल है।
ओवैसी भी ठोकेंगे ताल
आम आदमी पार्टी के साथ ही एआईएमआईएम के प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी ने भी उत्तर प्रदेश में पूरी ताक़त के साथ ताल ठोकने का फ़ैसला किया है। ओवैसी बिहार चुनाव में मिली 5 सीटों के बाद ग्रेटर हैदराबाद के नतीजों से यह बताने में कामयाब रहे हैं कि मुसलिम-दलित वोटों पर उनकी पकड़ बरकरार है। उत्तर प्रदेश में भी वे इसी फ़ॉर्मूले पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
देखना होगा कि इस सबके बीच योगी आदित्यनाथ और बीजेपी क्या राम मंदिर, लव जिहाद, सीएए-एनआरसी के मुद्दों पर हिंदू मतों का ध्रुवीकरण कर पाते हैं या नहीं। क्योंकि आम आदमी पार्टी के साथ ही तमाम सियासी दल हिंदू आबादी के वोटों में सेंध लगाने का काम करेंगे, ऐसे में चुनौती बीजेपी के सामने ज़्यादा है।
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