कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मी जिस हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के दौरान शहीद हो गए, वह बेहद ही छंटा हुआ बदमाश है। दुबे को बचपन से ही जरायम की दुनिया में नाम कमाने का शौक था। वह काफी समय से गैंग बनाकर लूटपाट और हत्याएं कर रहा है और इसीलिए उसका एक लंबा आपराधिक इतिहास है।
दुबे का नाम पहली बार चर्चा में तब आया था, जब उसने 2001 में उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की पुलिस थाने के अंदर हत्या कर दी थी। शुक्ला राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री थे। विकास दुबे पर 60 आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं।
दुबे का कानपुर के आसपास के इलाक़ों में ख़ौफ़ माना जाता है और कहा जाता है कि उसके पास बदमाशों की एक अच्छी-खासी टीम है। दुबे को कानपुर के रिटायर्ड प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडे की हत्या में उम्र क़ैद की सजा हो चुकी है।
सभी दलों में है पकड़
दुबे के बारे में कहा जाता है कि उसकी सभी राजनीतिक दलों में अच्छी पकड़ है और वह जिला पंचायत का सदस्य भी रह चुका है। कई पार्टियों के नेता पंचायत और स्थानीय निकाय के चुनावों में दुबे की मदद लेते रहे हैं। दुबे बहुजन समाज पार्टी में भी रह चुका है।
अपनी राय बतायें