सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को केंद्र सरकार से कहा है कि वह त्रिपुरा में जल्दी से जल्दी पुलिस बलों की दो कंपनियां भेजे और ये पुलिस बल 28 नवंबर यानी नतीजे आने तक राज्य में ही रहेंगे। अदालत ने पिछली सुनवाई में त्रिपुरा सरकार के वकील से पूछा था कि राज्य सरकार ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए क्या क़दम उठाए हैं।
शीर्ष अदालत टीएमसी की ओर से त्रिपुरा की बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। टीएमसी ने याचिका में कहा था कि स्थानीय निकाय के चुनाव में उसके उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार करने से रोका जा रहा है और हिंसा हो रही है। स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए गुरुवार को मतदान हुआ। टीएमसी ने आरोप लगाया है कि मतदान में धांधली हुई है।
टीएमसी और सीपीएम ने आरोप लगाया कि बीजेपी के कार्यकर्ता मतदाताओं को पोलिंग बूथ के अंदर नहीं जाने दे रहे हैं और मतदाताओं को घरों में जाकर धमकाया जा रहा है।
त्रिपुरा में आज 14 स्थानीय निकायों के लिए वोट डाले गए। बीते दिनों बीजेपी और टीएमसी के नेताओं के बीच घमासान के कारण यह चुनाव काफी हाई प्रोफ़ाइल हो गया है।
निकाय चुनाव में बीजेपी और टीएमसी के अलावा सीपीएम के बीच टक्कर है। विशेषकर अगरतला नगर निगम में जीत हासिल करने के लिए सभी दलों ने पूरा जोर लगाया है।
कई सीटों पर बीजेपी निर्विरोध जीत चुकी है जबकि बाकी सीटों पर जीत के लिए जोर-आजमाइश चल रही है। चुनाव के लिए कुल 785 उम्मीदवार मैदान में हैं और अब 222 सीटों पर वोटिंग हुई। सीपीएम ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के दबाव में उसके कई नेताओं को नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया गया।
2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी राज्य में अपने पैर जमाना चाहती है जबकि बीजेपी ऐसा नहीं होने देना चाहती। बीते कुछ महीनों से त्रिपुरा के अंदर टीएमसी के नेताओं की गिरफ़्तारी से लेकर उन पर हमले तक की ख़बरें सामने आ चुकी हैं।
स्थानीय निकाय के चुनाव में भी टीएमसी उतरी है और इस दौरान कई बार बीजेपी और उसके कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो चुकी है।
टीएमसी के कई सांसदों ने सोमवार को गृह मंत्रालय के बाहर धरना दिया था और आरोप लगाया था कि त्रिपुरा में टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर पुलिस जुल्म कर रही है। पार्टी के सांसद इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे।
टीएमसी की यूथ विंग की अध्यक्ष सायोनी घोष को भी पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था। बहरहाल, टीएमसी के जोरदार ढंग से त्रिपुरा में उतरने के बाद यहां विधानसभा चुनाव तक जोरदार सियासी जंग देखने को मिलेगी जबकि स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे इस बात को बताएंगे कि क्या वह वाकई विधानसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती देगी।
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